शासकीय योजनाओं को सफल बनाने के लिए शासन-प्रशासन द्वारा जंगलों के बीच बसे वन ग्रामों को किसी अन्य स्थान पर विस्थापित किया जाता है। जहां ग्रामीणों को विस्थापन के पूर्व शासन प्रशासन द्वारा तरह-तरह की सुविधाओं के साथ-साथ भारी धनराशि का मुआवजा देने के वादे किए जाते है और गांवो का विस्थापन कर अपनी योजनाओं को सफल कर लिया जाता है। लेकिन गांव के विस्थापन के बाद विस्थापित हुए लोगों को ना तो वादों के मुताबिक सुविधाए मिलती हैं और ना ही उन्हें मुआवजा दिया जाता है जिसके चलते विस्थापित हुए लोगों में शासन प्रशासन के प्रति नाराजगी देखने को मिलती रहती है। वन ग्रामो के विस्थापन से जुड़ा एक ऐसा ही मामला सामने आया है जहां कान्हा राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्र से वर्ष 2009 से 2017 के बीच में विस्थापित किए गए 10 गांवो के करीब 250 परिवारों को आज तक 10 लाख रु मुआवजे की राशि नहीं मिल पाई है जिसको लेकर ग्रामीण काफी परेशान है। जिन्होंने एक बैठक का आयोजन कर जल्द से जल्द मुआवजा दिए जाने की मांग की है जहां मुआवजा की राशि ना मिलने पर आगामी चुनाव का बहिष्कार कर आंदोलन किए जाने की चेतावनी दी है।
इन गांवो का किया गया था विस्थापन
राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्र से सन 2009 से 2017 तक विस्थापित वन ग्राम में निवास करने वाले राष्ट्रपति के दस्तक पुत्र राष्ट्रीय मानव व आदिवासी दर-दर भटकने को मजबूर है। जहा ऐसे कई वन ग्राम है जिन्हें कान्हा राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्र से प्रशासन द्वारा विस्थापन किया गया था।कान्हा राष्ट्रीय उद्यान के द्वारा विस्थापित किए गए दस वन ग्रामो के विस्थापन से प्रभावित ग्राम जामी, रोल, लिंगा, सुकड़ी, रनवाही, बिठली, अजानपुर, झोलर, बेंदा के के करीब 250 परिवारों को प्रशासन के अनुसार प्रति व्यक्ति अब तक दस लाख रुपये मुआवजा नहीं मिल पाया है। जिससे वर्तमान में विस्थापित वन ग्रामों के निवासरत आदिवासी, बैगा जनजाति के ग्रामीणों को भारी समस्या का सामना पड़ रहा है। इन ग्रामीणों की लड़ाई लड़ने के लिए राष्ट्रीय क्रांति मोर्चा के पदाधिकारियों ने बैठक का आयोजन कर आदिवासी बैगा परिवारों को मुआवजे की राशि दिलाने की रणनीति बनाई है।
सर्वे सूची में छूट नाम
राष्ट्रीय क्रांति मोर्चा के पदाधिकारियों ने बताया कि कान्हा राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्र के वन ग्रामों का सन 2009 से फरवरी 2017 तक दस वन ग्रामों का विस्थापन किया गया था। वन ग्राम विस्थापन से प्रभावित करीब 250 परिवारों को अब तक मुआवजा राशि प्रदान नहीं की गई है। वनों में निवास करने वाले ये ग्रामीणों के घर तो उजाड़े गए लेकिन इन्हें घर बसाने के लिए दस लाख की मुआवजा राशि प्रदान नहीं की गई। कान्हा राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्र के विस्थापित हुए वन ग्रामों में रहने वाले लोगों का सर्वे भी प्रशासन के लोगों के द्वारा किया गया था। जिसमें कुछ नाम सर्वे सूची में छूट गया था जो की रोजी,रोटी के लिए पलायन कर दूसरे स्थान पर चले गए थे जब उन्हें पता चला कि उनका गांव विस्थापित किया जा रहा है तो वह वापस आए ऐसे अनेक लोगों का नाम सर्वे सूची में छूट गए थे। सर्वे सूची में नाम जोड़ने के लिए संशोधित सूची में नाम नहीं जोड़ा गया केवल कुछ परिवारों का नाम जोड़कर खानापूर्ति की गई है। जिसके विरुद्ध उनके द्वारा लड़ाई लड़कर हक दिलाने के लिए आंदोलन किया जाएगा ।
आगामी विधानसभा चुनाव का करेंगे बहिष्कार
राष्ट्रीय क्रांति मोर्चा सामाजिक संगठन के बैनर तले बैठक में आदिवासी बैगा समुदाय के लोगों ने स्प्ष्ट कर दिया है कि यदि उन्हें अति शीघ्र प्रशासन के द्वारा विस्थापित राशि 10 लाख रुपए का मुआवजा प्रदान नहीं किया गया तो आगामी विधानसभा चुनाव का विस्थापित ग्राम के ग्रामीण बहिष्कार करेंगे ।जिसकी जिम्मेदारी शासन प्रशासन की होगी बैठक में उपस्थित विस्थापित ग्रामीणों ने बताया कि आदिवासी एवं बैगा समाज के दर्द को प्रशासन के लोग नहीं समझ पा रहे हैं कई बार उच्च स्तरीय अधिकारियों को ज्ञापन,आवेदन के माध्यम से सूचित भी किया गया परंतु उच्चस्तरीय अधिकारियों के द्वारा भी लगभग 250 लोगों को विस्थापित मुआवजा राशि प्रदान नहीं की गई है। उन्होंने आरोप लगाते हुए आगे कहा कि शासन, प्रशासन के द्वारा उनके साथ दोहरा रवैया अपनाते हुए कार्य किया जा रहा है ।
मुआवजा न मिलने से हो रही आर्थिक परेशानी-चंद्रसिंह धुर्वे
इस पूरे मामले को लेकर की गई चर्चा के दौरान वन ग्राम इंद्री निवासी चंद्रसिंह धुर्वे ने बताया कि दस वन ग्राम को विस्थापित किए जाने के बाद दस लाख का मुआवजा हमें आज तक प्रशासन के द्वारा प्रदान नहीं किया गया। जिसके लिए लगातार परेशान होना पड़ रहा है। मुआवजा की राशि नहीं मिल पाने से आर्थिक समस्या के साथ ही जीवन यापन संबंधी समस्या से जूझना पड़ रहा है।-,
13 वर्षो से कर रहे मुआवजे का इंतेजार-लक्ष्मीबाई
वही मामले को लेकर की गई चर्चा के दौरान वन ग्राम सुकड़ी निवासी ग्रामीण महिला लक्ष्मीबाई ने बताया कि करीब 13 वर्ष हो चुके हैं हमें विस्थापन राशि प्राप्त नहीं हुई है। शासन के लोगों के पास जाते हैं तो हमें डरा धमका कर भगा दिया जाता है।जिसके चलते विस्थापित हुए ग्रामीणों के सामने बड़ी समस्या निर्मित है। जिसके लिए शासन-प्रशासन को ध्यान दिया जाना चाहिए।
तो चुनाव का करेंगे बहिष्कार- कलारिन बाई
वही इस पूरे मामले को लेकर की गई चर्चा के दौरान स्थानीय बैगा कलारिन बाई ने बताया कि
लगभग 13 वर्ष हो चुके हैं हमें विस्थापन राशि प्राप्त नहीं हुई है। शासन के लोगों के पास जाते हैं तो हमें डरा धमका कर भगा दिया जाता है अगर विस्थापन राशि विधानसभा चुनाव के पहले नहीं मिलती तो आगामी विधानसभा चुनाव का हम ग्रामीण बहिष्कार करेंगे ।
ग्रामीणों के हक अधिकार का हनन नहीं होने देंगे- अंकुश चौहान
वहीं इस पूरे मामले को लेकर की गई चर्चा के दौरान सामाजिक संगठन राष्ट्रीय क्रांति मोर्चा जिला अध्यक्ष अंकुश चौहान ने बताया कि वर्ष 2009 से 2017 तक बैहर विधानसभा के राष्ट्रीय उद्यान कान्हा के क्षेत्र से दस वन ग्राम जो कि प्रशासन के द्वारा विस्थापित किए गए थे। जिनमें अनुमानित 250 आदिवासी,बैगा लोगों को अब तक शासन प्रशासन के द्वारा मुआवजा राशि प्रदान नहीं की गई है। राष्ट्रीय क्रांति मोर्चा विस्थापित ग्रामीणों के हक अधिकार का हनन नहीं होने देगा हर संभव मदद करेगा। शासन,प्रशासन गंभीरता से ग्रामीणों की परेशानी का निदान करें