भारत के तीन बहुत ही प्रतिष्ठित स्कूलों – मेयो कॉलेज, लॉरेंस सनावर और दून स्कूल के हेडमास्टर रहे शोमी रंजन दास का 89 वर्ष की उम्र में हैदराबाद में निधन हो गया। उन्हें ‘हेडमास्टर ऑफ इंडिया’ भी कहा जा सकता है। दास दून स्कूल के पूर्व छात्र भी थे और संयोग से इस प्रतिष्ठित स्कूल की स्थापना उनके नाना सतीश रंजन दास ने की थी। शोमी दास भारतीय शिक्षा जगत के एक जाने-माने नाम थे, जिनका प्रभाव कई पीढ़ियों के छात्रों पर रहा, जिनमें ब्रिटेन के किंग चार्ल्स भी शामिल हैं।
शिक्षाविद शोमी रंजन दास को उनके मित्र ‘शोमी’ और उनके छात्र प्यार से ‘हेडी’ बुलाते थे। उनका जन्म 28 अगस्त, 1935 को हुआ था। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा के बाद कोलकाता के सेंट जेवियर्स कॉलेज से ग्रेजुएशन किया और फिर कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से फीजिक्स में डिग्री हासिल की। 1960 के दशक में, दास ने गॉर्डनस्टोन में पढ़ाया, जहां वे तत्कालीन प्रिंस ऑफ वेल्स और ब्रिटेन के मौजूदा किंग चार्ल्स के टीचर भी रहे। दास ने ब्रिटेन के ‘मेल ऑन संडे’ को एक बार बताया था कि किंग चार्ल्स ‘सबसे बेहतरीन स्कूली मैकबेथ’ थे जिन्हें उन्होंने देखा था।
उनके छात्रों का मानना था कि दास शिक्षा को कक्षा के बाहर भी जारी रखने में विश्वास रखते थे, चाहे वह बर्फानी तूफान में चंद्रखानी दर्रा पार करना हो या जंगल की आग से लड़ने के लिए छात्रों को भेजना हो। उनके पूर्व छात्रों ने बताया कि वे जिज्ञासा को अवसर देकर और नासमझ साहसिकता को हास्य या छड़ी से पुरस्कृत करते थे। उनकी एक पूर्व छात्रा तुषिता पटेल ने हमारे सहयोगी टाइम्स ऑफ इंडिया ने उन्हें ‘हल्के-फुल्के और कमजोर छात्रों के प्रति सौम्य’ बताया।
दास के छात्र रह चुके जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा, ‘हेडी ने मुझे अपने घर के पीछे वाले बगीचे में एक टेलिस्कोप के जरिए हैली धूमकेतु दिखाया था। इस कारण और कई अन्य कारणों से, वह हमेशा उन महानतम शिक्षकों में से एक रहेंगे जिन्हें जानने और जिनसे सीखने का मुझे सौभाग्य मिला है।’