नई दिल्ली: भारत में सांप के काटने से होने वाली मौतों को कम करने के लिए केंद्र सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने सर्पदंश को ‘सूचित करने योग्य बीमारी’ घोषित किया है। इसका मतलब है कि अब सभी अस्पतालों को सांप काटने के मामलों की जानकारी सरकार को देनी होगी। इससे सरकार को सर्पदंश की समस्या की सही तस्वीर समझने और उससे निपटने में मदद मिलेगी। ‘राष्ट्रीय सर्पदंश रोकथाम और नियंत्रण योजना’ (NAPSE) के तहत 2030 तक सर्पदंश से होने वाली मौतों को आधा करने का लक्ष्य है। यह योजना निगरानी, इलाज और जागरूकता पर केंद्रित है। आइए जानते हैं किन सांपों के काटने से देश में होती हैं सबसे ज्यादा मौतें।
सांप काटने से हर साल 50 हजार लोगों की मौत
भारत में हर साल लाखों लोग सांप के काटने का शिकार होते हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, हर साल 30 से 40 लाख लोगों को सांप काटता है। इनमें से लगभग 50,000 लोग अपनी जान गंवा देते हैं। यह संख्या कई छोटे देशों की आबादी से भी ज्यादा है। दुनिया भर में सांप काटने से होने वाली मौतों का लगभग आधा हिस्सा भारत में होता है। लेकिन, इन मामलों की सही रिपोर्टिंग नहीं होती। इससे समस्या की गंभीरता का अंदाजा लगाना मुश्किल हो रहा।
इन सांपों के काटने से सबसे ज्यादा मौतें
भारत में सांपों की कई प्रजातियां पाई जाती हैं। इनमें कई बहुत जहरीले होते हैं, तो कुछ कम। ज्यादा खतरनाक सांपों में कॉमन क्रेट, इंडियन कोबरा, रसेल वाइपर और सॉ-स्केल्ड वाइपर शामिल हैं। ये चार सांप ही भारत में सर्पदंश के 90 फीसदी मामलों के लिए जिम्मेदार हैं। इनके काटने पर ‘पॉलीवैलेंट एंटी-स्नेक वेनम’ दिया जाता है। यह दवा सांप काटने के 80 फीसदी मामलों में कारगर होती है।
केंद्र सरकार ने लिया बड़ा फैसला
अब सरकार ने इस समस्या से निपटने के लिए ठोस कदम उठाया है। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के स्वास्थ्य सचिवों को इस संबंध में पत्र लिखा है। उन्होंने कहा कि सांप का काटना सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता का विषय है और कुछ मामलों में, यह मौत, बीमारी और विकलांगता का कारण बनता है। किसान, आदिवासी आबादी आदि इसके अधिक जोखिम में हैं।