केंद्र शासन भारतीय रेलवे द्वारा बालाघाट सिवनी मंडला गोंदिया जिले के साथ ही अन्य लोगों को बेहतर ट्रेन सुविधा देने के उद्देश्य से ब्रिटिश कालीन नैरोगेज का अमान परिवर्तन कर ब्रॉडगेज में परिवर्तन किया गया। लेकिन पहले कोरोना महामारी और अब रेलवे की बेरुखी की वजह से उसका सही लाभ जिले की जनता को नहीं मिल रहा है।
ब्रॉडगेज में परिवर्तन के बाद जनता को यही लग रहा था चाहे लंबी दूरी का सफर हो या पास का, उनका सफर आसान हो जाएगा। सुविधा मिलने के बजाय जनता को परेशान ही होना पड़ रहा है। पैसेंजर ट्रेने नही चल रही है अगर चल भी रही है तो वह विशेष ट्रेन के रूप में जोकि सभी स्टॉपेज में नहीं रुक रही है।
जिसके कारण जनता बेहद परेशान हैं। किराया इतना अधिक कर दिया गया है की जनता ट्रैन के बजाय बस से सफर करना पसंद कर रही है। अगर जनता को रेल सेवा का लाभ ही नहीं मिल रहा है तो इसका जिले की जनता के लिए औचित्य क्या?
चलिए आप को नैरोगेज के फ्लैशबैक में ले चलते हैं नैरोगेज के समय में गोंदिया से जबलपुर के बीच छोटी लाइन पर 6 ट्रेनें चलती थी जिनमें एक सतपुड़ा एक्सप्रेस ट्रेन भी शामिल थी।
गोंदिया से बालाघाट के बीच में नैरोगेज वर्ष 2003 में बंद हुई और ब्रॉडगेज निर्माण कार्य पूर्ण होने के बाद ब्रॉडगेज लाइन पर ट्रेनें चलना 6 मार्च 2005 में इस रूट पर चालू हुई। उसके बाद 7 मई 2010 को बालाघाट कटंगी के मध्य ब्रॉडगेज का काम पूरा हुआ और इस रूट पर ब्रॉडगेज प्रारंभ हुई, साथ ही 13 जून 2011 को कटंगी तिरोड़ी के मध्य तत्कालीन केंद्रीय मंत्री कमलनाथ के हस्ते कटंगी – तिरोड़ी नई रेल परियोजना का भी भूमि पूजन होकर उसका कार्य प्रारंभ हुआ था। वही बालाघाट से जबलपुर के बीच नैरोगेज दिसंबर 2015 में बंद हुई, इस रूट पर ब्रॉडगेज निर्माण होने के बाद सर्वप्रथम गोंदिया से समनापुर के बीच ब्रॉडगेज लाइन पर ट्रेन 1 अप्रैल 2018 से चलना प्रारंभ हुई।
तबसे गोंदिया से समनापुर के बीच मेमो ट्रेन चल रही थी जो कोरोना लगने के समय से 22 मार्च 2020 से बंद है।
कोविड सामान्य होने के बाद 28 सितंबर 2021 से गोंदिया बालाघाट कटंगी के बीच दो ट्रेनें पैसेंजर स्पेशल ट्रेन के रूप में चालू हुई। इसके अलावा गया चेन्नई एक्सप्रेस ट्रेन सप्ताह में 1 दिन चलती है यह ट्रेन रविवार को जाती है और बुधवार को वापस आती है। इसी तरह रीवा से इतवारी ट्रेन सप्ताह में 3 दिन चलती है रविवार, मंगलवार और गुरुवार को। आपको बताये कि कोरोना के पहले बालाघाट गोंदिया कटंगी समनापुर इस सेक्शन में 9 ट्रेनें चल रही थी, जिसमे अभी महज इस रूट पर दो ही ट्रेने चल रही है। यही नहीं जबलपुर चांदाफोर्ट ट्रेन पिछले 4 मई 2021 से बंद है।
गोंदिया से जबलपुर के बीच सभी ट्रेन बहुत कम स्टेशनों में रुकती है। जिसके कारण जनता को ट्रेन सेवा का सही लाभ नहीं मिल पा रहा है। यह कहे की हजारों की संख्या में यात्री इससे सीधे प्रभावित हो रहे है, किराया भी तीन गुना कर दिए जाने से यात्री बसो से सफर कर रहे हैं।
बसों का किराया भी काफी बढ़ गया है ऐसे में जनता को सफर करना काफी भारी पड़ रहा है, जनता का यही कहना है कि शासन द्वारा पैसेंजर ट्रेने बढ़ाई जानी चाहिए और किराया भी पूर्व की भांति किया जाना चाहिए, लेकिन सरकार कोरोना का हवाला देकर इस ओर ध्यान नहीं दे रही है। शासन पैसेंजर ट्रेनें चलाने के बजाय मालगाड़ियां बहुत चला रही है क्योंकि इससे शासन को फायदा है। सरकार ने जनता की तकलीफो को ध्यान में रखते हुये पैसेंजर ट्रेनों की संख्या यथाशीघ्र बढ़ाना चाहिए और लंबी दूरी की ट्रेने प्रारंभ करना चाहिए ताकि यात्रियों को सफर करने में दिक्कत ना हो।
जिले के विकास के लिए जिस प्रकार से जिले के जनप्रतिनिधियों द्वारा कार्य किया जाना चाहिए था उस हिसाब से कार्य नहीं किए गए, इसी कारण चाहे ब्रॉडगेज का कार्य हो, ट्रेनों की बात हो या अन्य विकास कार्य सभी में लेटलतीफी हुई।
आपको यह भी स्मरण करा दे कि 21 नवंबर 1997 को उस समय के रेल मंत्री रामविलास पासवान के हस्ते बालाघाट और गोंदिया में ब्रॉडगेज के लिए भूमिपूजन हुआ था लेकिन 1997 से लेकर 1999 तक छोटी रेल लाइन से बड़ी रेल लाइन में बदलने के लिए कार्य व आवंटन कुछ भी नहीं हुआ। उस दौरान ब्रॉडगेज संघर्ष समिति का गठन हुआ और उसके द्वारा आंदोलन बालाघाट से लेकर दिल्ली तक चला। यह भी बताएं कि वर्ष 1999 में तत्कालीन रेल मंत्री ममता बनर्जी द्वारा बालाघाट की रेल परियोजना को पश्चिम बंगाल ले जाया जा रहा था, इस दौरान रेल मंत्री के घर का घेराव और बालाघाट जिला बंद तक कराया गया था उन्ही आंदोलनों की परिणति न सिर्फ बालाघाट का कंस्ट्रक्शन ऑफिस विस्थापित होने से बचा बल्कि 20 करोड़ रुपये का आवंटन बालाघाट को पहली बार प्राप्त हुआ और उसके बाद वर्ष 2003 में छोटी रेल लाइन बंद होकर बड़ी रेल लाइन में बदलने का कार्य विधिवत प्रारंभ हुआ था।
जिले के विकास से जुड़े इस ज्वलंत विषय को लेकर भाजपा नेता एवं रेलवे सलाहकार समिति के सदस्य रमेश रंगलनी ने बताया कि कोरोना के कारण ट्रेने बंद थी, स्थिति सामान्य होने में थोड़ा समय लगेगा। बार-बार ट्रेनों को बंद चालू करने से इसका अच्छा मैसेज नहीं जाता इसलिए एक-एक करके ट्रेन चालू करते जा रहे हैं।