कुंडली मिलाने के साथ साथ मिलाए जांच रिपोर्ट?

0

बालाघाट(पदमेश न्यूज़)
एड्स और कुपोषण से कलंकित बालाघाट जिले में सिकलसेल बीमारी तेजी से पांव पसार रही है। स्थिति यह हो चुकी है कि रोगियों की संख्या के मामले में बालाघाट जिला प्रदेश में दूसरे स्थान पर पहुंच गया है। स्वास्थ्य महकमा भी इस स्थिति पर चिंता जाहिर कर रहा है। बीमारी के उन्नमूलन के लिए अभियान चलाया जा रहा है। जहा वरिष्ठ चिकित्सक अब विवाह के पूर्व कुंडली के साथ साथ पहले सिकलसेल की जांच कराकर, कुंडली के साथ साथ सिकलसेल रिपोर्ट मिलने की भी सलाह दे रहे है।

38हजार की जांच में 1200 पाजेटिव तो 3541 सभवित संक्रमित मिले
जिले में सिकलसेल के बढ़ते मामलों का पता लगाने व उसकी रोकथाम के लिए जिला स्वास्थ्य विभाग सिकलसेल रोगियों को चिन्हित करने अभियान चला रहा है। 2023 से शुरू किए गए अभियान के तहत अब तक 2लाख 38 हजार व्यक्तियों की जांच की जा चुकी है। इनमें 3541 संभावित रोगी सामने आए हैं। वहीं करीब 1200 व्यक्ति सिकलसेल पॉजीटिव पाए गए हैं।

सिकलसेल मामले में बालाघाट का प्रदेश में दूसरा स्थान
जिला चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के अनुसार वंशानुगत होने वाली इस बीमारी को लेकर वर्तमान में 1048 रोगी ऐसे हैं, जिन्हें हाइड्रोक्सी यूनिया प्रक्रिया में रख उपचार किया जा रहा है।यह आंकड़ा जिले को प्रदेश में दूसरे नंबर पर लाकर खड़ा कर रहा है। जहा सबसे ज्यादा लोग आदिवासी अंचलों में देखने को मिल रहे है।

क्या है सिकलसेल रोग
प्राप्त जानकारी के अनुसार सिकल सेल रोग एक वंशानुगत रक्त विकार है। जिसमें लाल रक्त कोशिकाएं असामान्य हो जाती हैं और जल्दी मर जाती है। सिकल सेल रोग में लाल रक्त कोशिकाएं सख्त और चिपचिपी हो जाती हैं और अक्षर सी के आकार की बन जाती है। ये कोशिकाएं रक्त वाहिकाओं में आसानी से नहीं जा पातीं और छोटी रक्त वाहिकाओं में फंस जाती है। इससे रक्त प्रवाह अवरुद्ध हो जाता है और शरीर के अंगों तक ऑक्सीजन और रक्त का प्रवाह धीमा हो जाता है या बंद हो जाता है। सिकल सेल रोग से पीड़ित लोगों में एनीमिया हो सकता है। एनीमिया तब होता है, जब शरीर में ऑक्सीजन ले जाने के लिए पर्याप्त स्वस्थ लाल रक्त कोशिकाएं नहीं होती।

इन इलाकों से अधिक मरीज
स्वास्थ विभाग के अनुसार जिले में सिकलसेल के रोगी सार्वाधिक आदिवासी बाहूल्य वन क्षेत्रों से सामने आ रहे हैं। इनमें जिले के बैहर, बिरसा और परसवाड़ा तहसील क्षेत्र के अलावा लामता और लांजी क्षेत्र के कुछ क्षेत्रों से सिकलसेल रोगी सामने आ रहे हैं। इसके अलावा अन्य क्षेत्र में भी मरीज मिल रहे है।

इसलिए परीक्षण अनिवार्य
डॉ पांडेय के अनुसार सिकल सेल रोग और सिकल सेल लक्षण आमतौर पर जन्म के समय नियमित नवजात स्क्रीनिंग परीक्षणों के दौरान रक्त परीक्षण से पता चलता है। एक दूसरा रक्त परीक्षण जिसे हीमोग्लोबिन इलेक्ट्रोफोरेसिस कहा जाता है, निदान की पुष्टि करता है। सिकल सेल एनीमिया से पीड़ित लोगों में लाल रक्त कोशिकाएं अर्धचन्द्राकार के आकार की हो जाती हैं। समय पर जांच करने से इस बीमारी का पता किया जा सकता है।जिसका पता लगाने पर उपचार किया जा सकता।

यह बरतें सावधानी
बताया जा रहा है कि इस रोग से संक्रमित मरीज को शराब, धूम्रपान या अन्य नशायुक्त चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। कोई भी परेशानी हो तो डॉक्टर से संपर्क करें। सिकल सेल मरीज को संपूर्ण संतुलित खुराक, भोजन लेना चाहिए। शरीर में जो विटामिनों की कमी हो वह सब उसे मिल सके। सिकल सेल डिजीज से निपटने के लिए प्रोटीन और मैक्रोन्यूट्रिएंट से भरपूर आहार लेना बहुत जरूरी होता है। शरीर में इनकी कमी मरीज में कुपोषण का कारण बन सकती है। इसलिए अपनी डाइट में प्रोटीन से भरपूर आहार जैसे मछली, पोल्ट्री, दाल, बीन्स, अंडे शामिल कर सकते हैं।

आजीवन बीमारी, उपचार संभव
सीएमएचओ डॉ पांडेय के अनुसार सिकलसेल रोग एक आजीवन बीमारी है। हालांकि इसका इलाज उपलब्ध है, लेकिन स्टेम सेल प्रत्यारोपण हमेशा उपलब्ध नहीं होते और कई जोखिम लेकर आते हैं। हालांकि, जल्दी निदान और उपचार आपके लक्षणों और जटिलताओं की संभावनाओं को कम करने में मदद कर सकता है। निरंतर देखभाल के साथ, आप एक पूर्ण सक्रिय जीवन जिया जा सकता है।

सिकल सेल से जुड़े लक्षण
:- अचानक तीव्र और बिना किसी चेतावनी के दर्द।
:- हड्डियों में दर्द ।
:- आंखों में नुकसान।
:- पैर में सूजन व दर्द।
:- लकवा (पैरालायसिस)
:- संक्रमण का खतरा।
सिकल सेल रोग के कारण
:- माता-पिता से एचबीबी जीन विरासत में मिलता है।
:- माता-पिता दोनों पॉजीटिव तो बच्चे में यह रोग होने के 60 प्रतिशत संभावना।
:- अगर किसी व्यक्ति को सिर्फ एक माता-पिता से सिकल सेल जीन मिलता है, तो वह सिकल सेल लक्षणों का अनुभव नहीं करता। हालांकि, वह अपने बच्चों को यह जीन दे सकता है।
:- सिकल सेल रोग जिले के आदिवासी बाहूल्य क्षेत्र से अधिक सामने आ रहा है।

कुंडल से पहले रिपोर्ट करें मिलान- पांडेय
इस पूरे मामले को लेकर की गई चर्चा के दौरान जिला चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ मनोज पांडेय ने बताया कि सिकलसेल एक वंशानुगत रोग है, जो अधिकांशतह माता-पिता से बच्चों में आता है। इस रोग के मामले में हमारा जिला प्रदेश में दूसरे नंबर पर है। हमारी जिलेवासियों से अपील है कि वे अपने वर-वधु की कुंडली मिलाने से पहले जांच रिपोर्ट मिलान करें। माता-पिता में से यदि कोई एक पॉजीटिव तो बच्चे में यह रोग होने के चान्स बहुत कम हो जाते हैं।लेकिन दोनों पाजेटिव हो तो उनके बच्चों में भी इसके लक्षण दिखने के चांस बढ़ जाते है।ज्यादातर मरीजों का आंकड़ा इसी तहर बढ़ा है।इसकी रोकथाम व आकड़ो को कम करने लिए स्कूल व कालेज में जनजागरुकता लाई जाएगी। ताकि जो युवा पीढ़ी है वो इसका ध्यान रहे।इस तरह इस वंशानुगत बीमारी को काबू पाया जा सकता है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here