कृषि उपज मंडी गोंगलई में श्रमिकों को काम नहीं मिलने की वजह से अब उनकी रोजी-रोटी पर समस्या बनाई है क्योंकि किसानों को उनकी धान का समर्थन मूल्य नहीं मिलने की वजह से वह बाहर गोदामों में ही धान बेच देते हैं क्योंकि उन्हें गोदामों में धान का उचित मूल्य मिल जाता है किंतु जब वह धान मंडी में लाते हैं तो उन्हें मंडी में उचित मात्रा में मूल्य नहीं मिलने की वजह से किसान मंडी नहीं पहुंच पा रहा है और किसान के मंडी नहीं आने से श्रमिकों को काम नहीं मिल रहा है
इन दिनों कृषि उपज मंडी समिति गोंगलई में कार्य करने वाले श्रमिकों को इन दिनों काम नहीं मिलने की वजह से उनके सामने रोजी-रोटी का संकट उत्पन्न हो गया है जिसका प्रमुख कारण किसानों द्वारा कृषि उपज मंडी में धान लेकर नहीं पहुंचना बताया जा रहा है जिसके पीछे मुख्य कारण यह है कि किसानों को गोदामों में ही धान का अधिक मूल्य मिलने की वजह से वह अपनी धान लेकर मंडियों में नहीं आ रहे हैं और वहां अपनी धान को गोदामों में ही बेच दे रहे हैं क्योंकि वह अपनी धान लेकर जब मंडियों में आते हैं तो मंडियों में किसानों को उचित मूल्य नहीं मिलता है और उनकी धान को औने पौने दामों पर ही खरीदा जाता है जिस कारण से वह अब बाहर ही गोदामों में अपनी धान बेच रहे हैं और उनके धान नहीं लाने की वजह से मंडी में श्रमिकों को रोजगार नहीं मिल रहा है जिससे यहां पर आने वाले श्रमिक
अब काम के लिए परेशान हो रहे हैं और उनके सामने रोजी-रोटी की समस्या उत्पन्न हो रही है
उन्हें मात्र वर्ष में 15 से 20 दिन ही काम मिल पाता है बाकी दिन वह प्राइवेट में गोदामों में काम तलाशते रहते हैं – राजेश ब्रम्हे
जिसको लेकर के जब हमारे द्वारा यहां के श्रमिक राजेश ब्रम्हे बताते हैं कि वह कोसमी बालाघाट के रहने वाले हैं और वह मंडी में हमाली का काम करते हैं और उन्हें बीते दिनों से मंडी में काम नहीं मिल रहा है उन्हें मात्र वर्ष में 15 से 20 दिन ही काम मिल पाता है बाकी दिन वह प्राइवेट में गोदामों में काम तलाशते रहते हैं वह चाहते हैं कि 12 महीने मंडी में धान आना चाहिए जिससे उन्हें काम मिलेगा किंतु वह किसानों को भी धान लाने के लिए बात नहीं कर सकते हैं किंतु यदि सरकार के द्वारा किसानों को उचित मूल्य पर उनकी धान खरीदी जाएगी तो तो किसान स्वयं ही धान लेकर मंडी पहुंचेंगे और वह सरकार से यह मांग कर रहे हैं कि उन्हें अपने गृहस्थी चलाने के लिए पर्याप्त काम दिया जाए
इन दिनों मंडी में धान नहीं आने की वजह से उन्हें कोई भी कार्य नहीं मिल रहा है- प्रमोद बार
श्रमिक प्रमोद बार बताते हैं कि वह बालाघाट से कृषि उपज मंडी गोंगलई में कार्य के लिए आते हैं और उन्हें कृषि उपज मंडी में काम नहीं मिल रहा है और वह बताते हैं कि इन दिनों मंडी में धान नहीं आने की वजह से उन्हें कोई भी कार्य नहीं मिल रहा है वही वह अब इस दुविधा में आ गए हैं कि परिवार की जीविका चलाने के लिए क्या करें क्योंकि उन्हें धान नहीं आने की वजह से मंडी में अब कोई कार्य नहीं मिल रहा है और वह मंडी प्रशासन से यह मांग कर रहे हैं कि उन्हें रोजगार उपलब्ध कराया जाए
उन्हें प्रतिदिन कार्य दिया जाए या तो उन्हें मंडी में परमानेंट नौकरी पर रखा जाए- दिनेश खैरवार
श्रमिक दिनेश खैरवार बताते हैं कि उन्हें 24 से 25 वर्ष हो गया मंडी में कार्य करते हुए और उन्हें इन दिनों कार्य नहीं मिलने की वजह से परिवार चलाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है और वह यह मांग करते हैं कि या तो उन्हें प्रतिदिन कार्य दिया जाए या तो उन्हें मंडी में परमानेंट नौकरी पर रखा जाए या तो फिर उन्हें मंथली पैसे दिया जाए उन्हें मात्र कुछ ही दिन काम मिलता है और उसके बाद काम नहीं मिलता वह मंडी में काम का इंतजार करते रहते हैं अब उन्हें मजबूरन इधर उधर काम के लिए भटकना पड़ रहा है किंतु उन्हें रोजगार कहीं नहीं मिल रहा है वही मंडियों में किसानों को पर्याप्त धान की कीमत नहीं मिलने की वजह से वह मंडी धान लेकर नहीं आते हैं जिस वजह से उन्हें रोजगार नहीं मिल पा रहा है वही बाहर गोदामों में धान की खरीदी होने की वजह से उन्हें अच्छे दाम मिलते हैं इस कारण वह मंडी तक नहीं पहुंचते हैं
कुछ बिचोलिय के द्वारा भी बहार धान खरीदी जाती है जिस पर प्रशासन द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है- रामप्रसाद
श्रमिक रामप्रसाद कांटा बताते हैं कि किसानों को धान की सही कीमत नहीं मिलने की वजह से वह मंडियों में अपना धान लेकर नहीं आ रहे हैं जिसकी वजह से उन्हें रोजगार नहीं मिल रहा है क्योंकि गोदामों में किसानों को धान की कीमत 1800 रूपये मिलती है और जब वह मंडी आते हैं तो उन्हें 1500 से1600 रूपये दिया जाता है जिस कारण वह मंडियों में अपनी धान लेकर नहीं पहुंचते हैं कुछ बिचोलिय के द्वारा भी धान खरीदी जाती है जिस पर प्रशासन द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है वहीं प्रदेश के मुखिया के द्वारा यह कहा जाता है कि वर्ष भर मंडी चालू है और किसानों की धान को समर्थन मूल्य पर लिया जा रहा है किंतु यहां पर मंडियों में तो धान ही नहीं आ रही है