निश्चित ही हम आपको एक ऐसी खबर दिखाने जा रहे हैं जिसे देखकर आपको 1990 का दशक याद आ जाएगा जब हमने और आपने पढ़ाई की शुरुआत के दौरान कलम और स्लैट पट्टी का उपयोग किया हो शायद आपके जेहन में वह तस्वीर याद आ गई जब काली स्लैट पट्टी पर हम सफेद कलम से अनार और आम इमली का लिखा करते थे लेकिन आज हम यह बात आपसे क्यों कर रहे हैं इसकी भी एक बड़ी वजह है समय के साथ स्लैट पट्टी का दौर समाप्त हो गया भले ही आज बाजार से स्लैट पट्टी गायब हो गई हो लेकिन कलम है कि अपनी उपस्थिति दर्ज कराएं हुए हैं अब आप सोच रहे होंगे कि जब स्लैट पट्टी का काम नहीं तो कलम किस काम की।
छोटे बच्चों और उनके परिजन बताते हैं कि कोरोना काल में स्कूल खुला नहीं इसलिए उन्हें नहीं पता कि कलम और स्लैट पट्टी क्या होती है उसके उपयोग क्या है।
इस वर्ष स्कूल तो अधिकांश बंद है इसलिए हम एक सरकारी स्कूल पहुंचे जहां पर प्राथमिक शिक्षक से कलम के विषय में जानकारी ली तो उन्होंने कहा कि कलम का उपयोग बहुत जरूरी है लेकिन वर्तमान समय में यह केवल सरकारी स्कूलों तक सीमित रह गया है।
स्कूल की पढ़ाई पूरी कर कॉलेज पहुंच चुकी छात्राओं से जब हमने चर्चा की तो उन्होंने बताया कि कलम का उपयोग तो उन्होंने पहले किया है लिखने में भी और खाने में भी। वे जानती हैं कि कलम कैल्शियम की कमी को पूरा करता है।
स्टेशनरी संचालकों के अनुसार अब कलम और पट्टी का उपयोग कम होते चला है पटिया तो नहीं बिछड़े लेकिन कलम आज भी बिक रही है।
निश्चित ही कलम और पट्टी के पर काफी बात हो गई अब बात करते हैं जब पट्टी बिक नहीं रही तो कलम की बिक्री आखिरकार हो कहा रही है। जिला अस्पताल के चिकित्सक बताते हैं कि कलम चूने की बनी होती है, जो कैल्शियम की कमी पूरा करता है। इसलिए लोग कलम खाते हैं लेकिन कमल खाने के दुरुपयोग बहुत अधिक है।