कोरोना की जांच रिपोर्ट में नहीं बता रहा सीटी वैल्यू, डाक्टरों को डोज प्लान करने में परेशानी

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कोरोना की दूसरी लहर से संक्रमितों का आकड़ा तेजी से बढ़ने लगा है। सेहत के प्रति लोग अब गंभीर हो गए है। वे लक्षण नजर आते ही कोरोना की जांच करवा रहे है। मगर स्वास्थ्य विभाग और प्राइवेट लैब की जांच रिपोर्ट में मामूली अंतर देखने को मिल रहा है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा जांच रिपोर्ट में केवल पॉजिटिव और नेगेटिव के बारे में उल्लेख किया जा रहा है। जबकि प्राइवेट लैब में पॉजिटिव-नेगेटिव के अलावा सिटी वैल्यू रिपोर्ट में बताई जा रही है। इसे लेकर मेडिसीन विशेषज्ञों यानी डाक्टरों का मानना है कि सिटी वैल्यू बताने से मरीजों का डोज प्लान करने में आसानी हो जाती है। उनके मुताबिक कोरोना जांच के बाद भी सीटी स्कैन करवाना जरूरी होता है। उधर जिम्मेदारों का मानना है कि टेस्ट ज्यादा होने से सिटी वैल्यू बताना प्रत्येक व्यक्ति को थोड़ा मुश्किल है।about:blankAds by Jagran.TV

क्या हो सीटी वैल्यू

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सीटी वैल्यू का मतलब साइकल थ्रेसहोल्ड है। जानकारों के मुताबिक संक्रमित व्यक्ति के नमून को जांचने के दौरान मौजूद वायरस कितने साइकल में विकसित होता है। यह पता लगाया जाता है। ताकि संक्रमित व्यक्ति के शरीर में वायरस के लोड के बारे में अंदाजा लग सके। डाक्टरों के मुताबिक 14-25 के बीच सीटी वैल्यू रहने से वायरस काफी घातक होता है। जबकि 26 से ऊपर करने पर वायरस की मारक क्षमता कम रहती है। यह बात भारतीय अायुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) ने भी उल्लेख किया है, जिसमें गाइडलाइन के मुताबिक 35 से ऊपर सीटी वैल्यू रहने सक्रमण कम रहता है।

प्राइवेट लैब में बताते है वैल्यू

कोरोना वायरस की जांच के लिए चिन्हित प्राइवेट लैब की रिपोर्ट में सीटी वैल्यू का जिक्र होता है। अब सवाल खड़ा होता है कि अगर आईसीएमआर की गाइडलाइन के मुताबिक सीटी वैल्यू रिपोर्ट में बताना जरूरी नहीं है तो फिर प्राइवेट लैब इसका उल्लेख्य क्यों कर रहे हैं।

संक्रमण का लगता है पता

एमडी मेडसीन डा. उल्लास महाजन का कहना है कि आरटीपीसीआर में पॉजिटिव-नेगेटिव के अलावा सीटी वैल्यू रहती है। मगर कुछ रिपोर्ट में इसका जिक्र नहीं होता है। एेसे में डाक्टरों को आरटीपीसीआर के जरिए संक्रमित व्यक्ति में वायरस का लोड बता नहीं चलता है। इसके चलते संक्रमित व्यक्तियों को दवाइयों का डोज प्लान ठीक से नहीं हो पाता है। यहां तक उनकी परिस्थितियों का अंदाजा बराबर नहीं लगता है।

बताना जरूरी नहीं

एमजीएम मेडिकल कॉलेज की लैब प्रमुख डा. अनिता मुथा का कहना है कि रिपोर्ट में सीटी वैल्यू बताने जरूरी नहीं है। इसके बारे में आइसीएमआर ने भी उल्लेख किया है। वैसे हमारे पास ज्यादा सैम्पल जांचने के लिए रहते है। इसके लिए कभी-कभार वह रिपोर्ट में नहीं आती है। हालांकि जो मरीज इसके बारे में पूछते है। उन्हें जानकारी दे दी जाती है।

रिपोर्ट बनाने का काम एमजीएम का

सीएचएमओ डा. बीएस सेत्या का कहना है कि नमूनों की जांच करने का जिम्मा लैब का रहता है। एमजीएम मेडिकल कॉलेज रिपोर्ट बनाता है।

संक्रमण के स्तर का कोई संबंध नहीं

एमजीएम मेडिकल कॉलेज डीन संजय दीक्षित का कहना है कि सीटी वैल्यू में संक्रमण का स्तर से कोई संबंध नहीं होता है। बस वायरस का लोड पता लगाता है। संक्रमण का स्तर सीटी स्कैन से जानने को मिलता है। वैसे आइसीएमआर की गाइडलाइन के मुताबिक रिपोर्ट बनाते है।

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