कोरोना महामारी के कारण 40% कर्मचारियों की कुल सैलरी में कटौती हुई, सभी सेक्टर्स में दिखा असर

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जॉब मार्केट पर कोविड-19 महामारी का असर जारी है। इस बीच एक सर्वे में खुलासा हुआ है कि कोरोना महामारी के कारण उनकी कुल सैलरी में 40% तक की कटौती हुई है। ग्रांट थॉर्नटन की ओर से किए गए ‘ह्यूमन कैपिटल सर्वे में यह बात कही गई है।

अधिकांश सेक्टर्स में हुई कटौती

यह सर्वे कंज्यूमर, रिटेल, ई-कॉमर्स, फाइनेंशियल सर्विसेज, मैन्युफैक्चरिंग, ऑटोमोटिव, फार्मास्यूटिकल्स, हेल्थकेयर समेत कई सेक्टर्स के 16,700 कर्मचारियों पर किया गया है। इसका मतलब यह है कि सैलरी कटौती का असर अधिकांश सेक्टर्स में दिखा है। सर्वे में शामिल 40% कर्मचारियों का कहना है कि उनकी कुल सैलरी में कटौती हुई है। 16% कर्मचारियों का कहना है कि उनकी फिक्स्ड सैलरी में अस्थायी कटौती हुई है।

वैरिएबल-पे में भी कटौती

सर्वे में कहा गया है कि कोरोना महामारी के कारण वैरिएबल-पे या परफॉर्मेंस-पे में भी कटौती का ट्रेंड रहा है। महामारी के दौरान 31% कर्मचारियों को वैरिएबल-पे मिला ही नहीं है। वहीं, 33% कर्मचारियों के वेरिएबल-पे में कटौती हुई है। ग्रांट थॉर्नटन भारत पार्टनर अमित जयसवाल का कहना है कि सर्वे में शामिल एक तिहाई कर्मचारियों की फिक्स्ड सैलरी में 20% से ज्यादा की कटौती रही है। वहीं, 40% कर्मचारियों की कुल कमाई में कटौती के बावजूद फिक्स्ड सैलरी में कोई बदलाव नहीं हुआ है। सर्वे में सामने आया है कि सैलरी का मुख्य हिस्सा माना जाने वाला वैरिएबल-पे ज्यादा प्रभावित हुआ है।

विकल्प मिले तो फिक्स्ड सैलरी में बढ़ोतरी करेंगे

सर्वे में शामिल आधे से ज्यादा कर्मचारियों का कहना है कि अगर विकल्प मिले तो वे कुल सैलरी में कटौती के बावजूद फिक्स्ड सैलरी में बढ़ोतरी का चुनाव करेंगे। जयसवाल का कहना है कि कर्मचारी अब अपनी सैलरी में कटौती के जोखिम को कम करने के लिए मौजूदा पे-स्ट्रक्चर को बदलने की उम्मीद कर रहा हैं। खासतौर पर मध्यम स्तर के संस्थानों के नए कर्मचारी ऐसी उम्मीद कर रहे हैं।

42% संस्थान कर रहे हैं रणनीति की समीक्षा

सर्वे के मुताबिक, कोविड-19 के बाद 42% संस्थान अपनी रणनीति, ऑपरेटिंग स्ट्रक्चर और परफॉर्मेंस मापने वाले फ्रेमवर्क की समीक्षा कर रहे हैं। 50% से ज्यादा कर्मचारियों का कहना है कि उनके संस्थान कोरोना महामारी से पहले के मुकाबले इस समय अच्छा काम करने वाले कर्मचारियों की कमी का सामना कर रहे हैं। सर्वे में सामने आया है कि अब कर्मचारी अपने संस्थानों से कई प्रकार के लाभ पाना चाहते हैं इसमें कहीं से भी काम करने की छूट, इंश्योरेंस, होम ऑफिस अलाउंस और काम के घंटों में लचीलापन शामिल हैं।

लंबी अवधि के इंसेंटिव पेश करें संस्थान

सर्वे में शामिल 73% कर्मचारियों का कहना है कि अब संस्थानों को लंबी अवधि के इंसेंटिव पेश करने चाहिए। इसमें एंप्लॉयी स्टॉक ओनरशिप प्लान (ESOPs) और कंपनी के साथ बने रहने के लिए बोनस जैसे इंसेंटिव पेश करने चाहिए। इससे साफ होता है कि कहीं से भी काम करने की छूट, लाइफ और मेडिकल इंश्योरेंस, होम ऑफिस सेट-अप और काम के घंटों में लचीलापन कर्मचारियों के लिए हाई-प्रायोरिटी लाभों में शामिल हैं।

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