कोरोना: मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य से जुड़े मामलों में 30 फीसदी का इजाफा डिप्रेसिव रिएक्‍शन, पैनिक अटैक, एंजायटी और स्लीपिनेस की देखी गई परेशानी

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जानेलवा महामासरी कोरोना वायरस की दस्‍तक के बाद मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य से जुड़े मामलों में करीब 30 फीसदी का इजाफा हुआ है। कोरोना की दूसरी लहर में स्‍वास्‍थ्‍य सुविधाओं की अनुपलब्‍धता की वजह से बेहद डर का माहौल बन चुका था। एक तरफ, कोरोना महामारी की चपेट में आए अपनों के बिछड़ने का गम, वहीं दूसरी तरफ रोजगार और व्‍यापार को लेकर गहरा तनाव था। मानसिक रूप से हुए इस बिखराव के फलस्‍वरूप एक बड़ी आबादी में डिप्रेसिव रिएक्‍शन, पैनिक अटैक, एंजायटी और स्लीपिनेस की परेशानी देखी गई।
कोविड-19 के मामलों में काफी हद तक कमी आने के बावजूद मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य से जुड़े मामले जस के तस बने रहे। इस सवाल को लेकर डॉ शैलेष झा का कहना है कि कोविड-19 के मामलों में कमी जरूर आई, लेकिन मृत्‍यु जस की तस बनी नहीं। इस बीच, लोगों ने अपनी जिंदगी को सामान्‍य बनाने की कई तरह से कोशिशें की, लेकिन कोविड-19 या कोरोना को लेकर मन में एक डर बना रहा। इस डर की वजह से पैदा हुए तनाव और एंजाइटी पर नियंत्रण पाने के लिए बड़ी संख्‍या में लोगों ने सिगरेट, शराब सहित दूसरे नशों का सहारा लिया, जो मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य बिगाड़ने में बड़ा कारण साबित हुए। विशेषज्ञों के अनुसार, कोविड की दूसरी लहर में मरीजों की बढ़ती मृत्‍यु दर और अपनों को खोने के दर्द ने माहौल को बेहद नाकारात्‍मक कर दिया था। इसी नाकारात्‍मक माहौल और कोरोना के डर की वजह से लोगों को पैनिक अटैक हो रहे थे। उनमें एंजाइटी थी, डिप्रेसिव रिएक्‍शन थे और ऑन गोइंग ग्रीफ (शोक) था।
किसी अपने के जाने के बाद जो मा‍निसिक स्थिति होती है, यह यब मामूली या रोजमर्रा वाली बाते नहीं होती हैं। उस समय पैदा हुई इन्‍हीं परिस्थितियों ने लोगों ने गुस्‍सा पैदा किया और पति-पत्‍नी के बीच झगड़े का कारण बना। ज्‍यादातर मामलों में इस झगड़े का खामियाजा बच्‍चों को भुगतना पड़ा। बता दें कि मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य से जुड़े इन मामलों में इजाफे के लिए अब तक सामान्‍यतौर पर कोरोना और लॉकडाउन को जिम्‍मेदार बताया जा रहा है। लेकिन, अब कोरोना के मामलों में काफी हद तक लगाम लग चुकी है और लॉकडाउन भी लगभग पूरी तरह से खत्‍म हो चुका है। बावजूद इसके, मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य से जुड़े मामले जस के तस बने हुए हैं और डिप्रेशन की चपेट में आने वाले मरीजों की संख्‍या बढ़ती जा रही है।

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