कोविड संक्रमण की तीसरी लहर के साथ ही औषधीय पौधों की बिक्री में एक बार फिर तेजी आई है। अब लोग वन विभाग और विभिन्न प्राइवेट नर्सरियों से तुलसी, नीम, गिलोय, बोवई, गुग्गल, चित्रक, कालमेघ, दमा बेल जैसे पौधे खरीद रहे हैं। कोविड के साथ ही सर्दी का मौसम होने के कारण इस समय ज्यादातर घरों में सर्दी, खांसी, जुकाम, बुखार जैसी शिकायतें लोगों को हो रही हैं। इनमें से अधिकतर पौधों मेें शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के साथ ही वात, पित्त और कफ को समाप्त करने के गुण होते हैं। ऐसे में लोग इन पौधों को खरीदकर अपने घर की बालकनियों में लगा रहे हैं, ताकि जरूरत पड़ने पर इन पौधों की पत्तियों का सेवन कर स्वास्थ्य लाभ लिया जा सके। गाैरतलब है कि काेराेना की पहली एवं दूसरी लहर में आयुर्वेदिक काढ़े की डिमांड काफी बढ़ गई थी और लाेगाें काे इससे लाभ भी हुआ था।
-ये गुण हैं इन पौधों में-
तुलसी-इसमें एंटीबायोटिक सहित कई गुण होते हैं। आमतौर पर लोग काढ़े में भी तुलसी के पत्तों का इस्तेमाल करते हैं।
गिलोय-यह शरीर की इम्युनिटी बढ़ाने के काम में आता है। इसके अलावा लोग सौंदर्य प्रसाधन के तौर पर भी उपयोग करते हैं।
बोवई-यह तुलसी की ही एक प्रजाति है, जो लौंग और सौंफ के स्वाद में अलग-अलग मिलती है।
दमा बेल-ये दमा के रोगों के लिए लाभदायक है और गले से सूखे कफ को साफ करती है।
गुग्गल-ये शरीर में वात और पित्त खत्म करता है। इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है।
चित्रक-इसके सेवन से पाचन तंत्र में सुधार होता है।
कालमेघ-इसका काढ़ा बनाकर पीने से बुखार खत्म हो जाता है।