नई दिल्ली: भारत के एक तरफ अरब सागर तो दूसरी ओर बंगाल की खाड़ी और हिंद महासागर है। जहां हिंद महासागर की तरफ से चीन खतरा बना हुआ है तो वहीं, अरब सागर की तरफ से पाकिस्तान। ऐसे में समंदर के भीतर भारत को ऐसी पनडुब्बियों की जरूरत है, जो समंदर के भीतर भारत को अजेय बना सके। यही वजह है कि भारत अब अपनी पनडुब्बियों में एयर इंडिपेंडेंट प्रपल्शन (AIP) तकनीक का इस्तेमाल कर रहा है। खास बात यह है कि ऐसी पनडुब्बियां दुश्मन को अपने बारे में पता नहीं चलने देतीं और समंदर के भीतर तेजी से मीलों तक बगैर शोर किए चुपचाप चलती हैं। जानते हैं इस तकनीक के बारे में और यह भी जानते हैं कि इस तकनीक की अभी चर्चा क्यों हो रही है?
क्या है AIP तकनीक, पहले इसे समझते हैं
sciencedirect के अनुसार, एयर इंडिपेंडेंट प्रपल्शन (AIP) तकनीक किसी पनडुब्बी को समंदर का शांत मगर खूंखार शिकारी बना देती है।हाइड्रोजन और ऑक्सीजन से मिलकर एनर्जी प्रोड्यूस करते हैं। दअरसल, पनडुब्बियां आमतौर पर दो तरह की होती हैं-च्पारंपरिक और परमाणु। पारंपरिक पनडुब्बियां डीजल-इलेक्ट्रिक इंजन का उपयोग करती हैं, जिसके लिए उन्हें एनर्जी के लिए वायुमंडलीय ऑक्सीजन हासिल करने की जरूरत पड़ती है। इस वजह से उन्हें हर दिन सतह पर आना पड़ता है। अगर पनडुब्बी एआईपी प्रणाली से लैस है तो पनडुब्बी को सप्ताह में केवल एक बार ऑक्सीजन लेने के लिए ही बाहर आना होगा।