नई दिल्ली : भारत के नेतृत्व में विकासशील देशों ने क्लाइमेट फाइनेंस में अपर्याप्त प्रगति तथा बिना समर्थन के प्रतिबद्धता बढ़ाने को दबाव के लिए COP29 की आलोचना की है। बाकू में सीओपी29 सम्मेलन में भारत ने विकासशील देशों के बीच बढ़ती निराशा को व्यक्त किया। भारतीय प्रतिनिधि ने कहा कि हम पिछले सप्ताह के दौरान की गई प्रगति से बहुत चिंतित हैं। हमने उन मामलों में कोई प्रगति नहीं देखी है जो विकासशील देशों के लिए महत्वपूर्ण हैं।
भारत की तरफ से कहा गया कि दुनिया का हमारा हिस्सा जलवायु परिवर्तन के कुछ सबसे बुरे प्रभावों का सामना कर रहा है। उन प्रभावों से उबरने या जलवायु प्रणाली में उन परिवर्तनों के अनुकूल होने की बहुत कम क्षमता है जिनके लिए हम जिम्मेदार नहीं हैं। भारत ने विकासशील देशों में जलवायु पहलों के समर्थन के बारे में सार्थक चर्चा में शामिल होने के लिए विकसित देशों की अनिच्छा पर गहरी चिंता व्यक्त की।
वित्तीय, तकनीकी सहायता की आवश्यकता
इसके साथ ही इस बात का बात भी उल्लेख किया कि जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए पर्याप्त वित्तीय और तकनीकी सहायता की आवश्यकता है। भारत ने कार्यक्रम के समापन सत्र के दौरान यह कहा कि कैसे विकसित राष्ट्रों ने ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन और अधिक संसाधनों के लिए अपनी ऐतिहासिक जिम्मेदारी के बावजूद क्लाइमेट ऐक्शन को लगातार स्थगित किया है। भारत के उप मुख्य वार्ताकार नीलेश साह ने कहा कि हमने विकासशील देशों के लिए महत्वपूर्ण मामलों में (पिछले सप्ताह के दौरान) कोई प्रगति नहीं देखी है।