खनिज और वन संपदा वाले बालाघाट में बेरोजगारी अहम समस्या

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 बालाघाट से तरुण मिश्रा। बालाघाट की राजनीतिक राजधानी कहलाने वाले लालबर्रा में पंडाल लगाकर कुछ लोगों का समूह बैठा था। यह विरोध प्रदर्शन बस स्टैंड से सटे बाजार की दुकानों को तोड़े जाने को लेकर चल रहा था। दुकान ध्वस्त होने की पीड़ा व्यक्त करते हुए रवि अग्रवाल ने बताया कि यहां की दुकानें और लोगों का रोजगार अनियोजित विकास की बलि चढ़ गया। वे बोले, वादा किया गया कि नई दुकानें बनाकर दी जाएंगी, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। गौरी भाउ (विधायक गौरीशंकर बिसेन) दुकानों का ढांचा ध्वस्त होने के पहले वादा करके गए थे कि किसी का नुकसान नहीं होने देंगे, लेकिन महीनों बीतने के बाद स्थिति जस की तस है।

मप्र अन्य पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग के अध्यक्ष गौरीशंकर चतुर्भुज बिसेन इस विधानसभा का नेतृत्व तीन दशक से कर रहे हैं। जल संपदा, वन संपदा और खनिज संपदा वाले बालाघाट में बेरोजगारी बड़ी समस्या है। स्थानीय लोग रोजगार की तलाश में पलायन को मजबूर हैं। गौरीशंकर बिसेन ने क्षेत्र के विकास के लिए कार्ययोजनाओं को अमलीजामा पहनाया है, लेकिन इसकी गति धीमी है।

आंबेडकर चौक पर अपने भाई की प्रतीक्षा करने वाले आशीष कालवे ने बताया कि शहर में विकास हुए हैं, भले इनकी गति धीमी हो। उन्होंने बताया कि मुलना स्टेडियम के फुटबाल ग्राउंड का कायाकल्प हो गया है। यहां खेलो इंडिया यूथ गेम्स संपन्न हुए। काली पुतली के निकट रहने वाले बैंक कर्मचारी तीन ब्रिजों की सौगात जल्द मिलने से खुश हैं।

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