रूस के धुआंधार हमलों के बावजूद यूक्रेन मोर्चे पर डटा है। इस दौरान रूसी सैनिकों ने यूक्रेन की राजधानी कीव पर कब्जा जमा लिया। हालांकि अब रूसी सेना पीछे हटती हुई नजर आ रही है। यूक्रेन के सेना प्रमुख ने रविवार को कहा कि यूक्रेन की सेना खार्किव क्षेत्र से रूसी सैनिकों को भगा रही है। यूक्रेनी अधिकारियों ने कहा है कि रूसी सेना अब पीछे हट रही है। इसके अलावा अधिकारियों ने कहा कि रूस द्वारा खार्किव में एक थर्मल पावर स्टेशन सहित नागरिक बुनियादी ढांचे पर जवाबी हमले के कारण व्यापक ब्लैकआउट की समस्या हो गई है। यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की ने हमलों के बारे में ट्विटर पर लिखा, ‘कोई सैन्य सुविधा नहीं, लोग अंधेरे और गर्मी से परेशान हैं।’ वहीं रूस ने इस बात से इनकार किया है कि उसकी सेना जानबूझकर यूक्रेन के नागरिकों को निशाना बनाती है।
जेलेंस्की ने यूक्रेन के आक्रमण को छह महीने पुराने युद्ध में संभावित सफलता के रूप में वर्णित किया और कहा कि अगर कीव को और अधिक शक्तिशाली हथियार मिलते हैं तो सर्दियों में और क्षेत्रीय लाभ देखने को मिल सकते हैं। यूक्रेन के मुख्य कमांडर जनरल वेलेरी जालुज्नी ने कहा कि सशस्त्र बलों ने इस महीने की शुरुआत से 3,000 वर्ग किमी (1,158 वर्ग मील) से अधिक पर फिर से नियंत्रण हासिल कर लिया है। जेलेंस्की ने रविवार देर रात कहा कि रूसी हमलों के कारण खार्किव और डोनेट्स्क क्षेत्रों में पूरी तरह से ब्लैकआउट हो गया, और ज़ापोरिज़्झिया, निप्रॉपेट्रोस और सूमी क्षेत्रों में आंशिक रूप से ब्लैकआउट हो गया। बता दें कि उत्तर-पूर्वी खारकीव क्षेत्र में रूस के कब्जे वाले क्षेत्रों को दोबारा अपने नियंत्रण में लेने के लिए यूक्रेन द्वारा की गई त्वरित कार्रवाई ने रूस को अपने सैनिकों को हटाने पर मजबूर किया।
यूक्रेनी राष्ट्रपति ने शनिवार देर रात जारी एक वीडियो में रूसी बलों का मजाक उड़ाते हुए कहा, ‘इन दिनों रूसी सेना अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए पीठ दिखाकर भाग रही है।’ रूसी बलों के पीछे हटने को यूक्रेनी सेना के लिए युद्धक्षेत्र में बड़ी सफलता के तौर पर देखा जा रहा है क्योंकि उन्होंने लगभग सात महीने पहले हुई युद्ध की शुरुआत में राजधानी कीव को नियंत्रण में लेने के रूस के प्रयास को विफल कर दिया था। वहीं, अपने बचाव के पक्ष में तर्क देते हुए रूसी रक्षा मंत्रालय ने कहा कि इजियम और खारकीव क्षेत्र के अन्य इलाकों से सैनिकों की वापसी का उद्देश्य पड़ोसी दोनेत्स्क क्षेत्र में रूसी सेना को मजबूती प्रदान करना है।