टोक्यो Olympics 2021। ओलंपिक खेलों में हर खिलाड़ी की नजर गोल्ड मैडल पर होती है और इसके लिए वह कई वर्षों तक कड़ी मेहनत भी करता है। टोक्यो ओलंपिक में भी अभी तक भारत की मीराबाई चानू को फिलहाल सिल्वर मेडल मिल चुका है और पहले स्थान पर आई चीन खिलाड़ी के डोपिंग विवाद में फंसने के बाद उम्मीद है कि मीराबाई चानू को गोल्ड पदक मिल जाए। पदक जीतने के बाद आपने अक्सर देखा होगा कि फोटो सेशन के दौरान खिलाड़ी अपने पदक को काटते हुए दिखाई देता है। ऐसे में आखिर सभी के मन में यह सवाल जरूर उठता है कि जीत के बाद खिलाड़ी पदक को अपने दांतों से काटते क्यों हैं। दरअसल इंटरनेशनल सोसायटी ऑफ ओलिंपिक हिस्टोरियन के अध्यक्ष रहे और किताब ‘द कम्पलीट बुक ऑफ द ओलंपिक्स’ के लेखक डेविड वलेकीन्स्की ने इस बारे में बताया है कि इसकी कोई खास वजह नहीं है। इसकी शुरुआत फोटो ग्राफर्स की वजह से हुई है। मुझे लगता है कि खेल पत्रकार इसे आइकॉनिक तस्वीर की तरह देखते हैं और कुछ खास अंदाज में फोटो लेकर उसे बेच सके, इसलिए इसकी शुरुआत हुई थी। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ फोटो पोज होता है और इसकी कोई खास वजह नहीं है।
हर स्पर्धा में मेडल को दांत से काटते हैं खिलाड़ी
लेखक डेविड वलेकीन्स्की ने अपनी किताब में जिक्र किया है कि सिर्फ ओलंपिक खिलाड़ी ही नहीं बल्कि हर बड़ी खेल स्पर्धा में खिलाड़ी पदक जीतने के बाद ऐसा करते हैं। साथ ही वे यह भी कहते हैं कि पहले के जमाने में लोग सोने की परख काटकर ही करते थे, क्योंकि इसे दांतों से आसानी से दबाया जा सकता है। इसलिए भी हो सकता है कि खिलाड़ी इसे काटकर सोना जीतने का संदेश देते हैं।
आखिर गोल्ड मेडल में कितना होता है सोना
ओलंपिक खेलों में खिलाड़ी को मिलने वाले गोल्ड मैडल क्या सच में सोने के होते हैं और इसमें कितना सोना होता है? इस सवाल का जवाब हर कोई जानना चाहता होगा। तो आपको बता दें कि ओलंपिक खेलों में एक गोल्ड मेडल में केवल 1.34 फीसदी ही गोल्ड होता है। ओलंपिक खेलों में स्वर्ण पदक करीब 556 ग्राम का होता है, जिसमें 6 ग्राम सोना होता है और बाकी चांदी मिली होती है। वहीं सिल्डर मैडल 550 ग्राम का होता है और पूरा चांदी का बना होता है। इसके अलावा कांस्य पदक की बात की जाए तो यह 450 ग्राम का होता है, जिसे 95 फीसदी कॉपर और 5 फीसदी जिंक मिलाया जाता है।