नगर के लालबर्रा रोड स्थित गायत्री शक्तिपीठ मंदिर में 26 सितंबर से शारदेय नवरात्र पर्व हर्षोल्लास के साथ धार्मिक मान्यताओं के अनुरूप मनाया जा रहा है। जहां पर 26 सितंबर को शारदेय नवरात्र के प्रारंभ के प्रथम दिन विधि विधान से पूजा अर्चना कर 108 मनोकामना ज्योति कलश प्रज्वलित किये गये। जिसके बाद से माता गायत्री की आराधना की जा रही है। जहां रोजाना सुबह शाम 8:30 बजे माता गायत्री की विधि विधान से वेद मंत्र उच्चारण के साथ पूजा अर्चना कर आरती की जा रही है। इस दौरान गायत्री मंत्र के साथ माला जाप करने बड़ी संख्या में लोग उपस्थित होकर माता रानी का आशीर्वाद प्राप्त कर रहे हैं।
बालाघाट सहित अन्य जिलों के श्रद्धालुओं की है मंदिर पर खासी आस्था
श्री गायत्री शक्तिपीठ में प्रति वर्ष अनुसार इस वर्ष भी मनोकामना ज्योति कलश प्रज्वलित किए गए हैं। जहां पर नगर ही नहीं बालाघाट जिले के भी लोगों के द्वारा ज्योति कलश की स्थापना करवाई गई है जहां जिले से बाहर के भी लोग मां भगवती के दर्शन के लिए आते है। इस दौरान मंदिर में 108 ज्योति कलश प्रज्वलित किए गए हैं जिसमें 98 कलश तेल के एवं 10 कलश घी के हैं जिन का विसर्जन 4 अक्टूबर को किया जाएगा।
माता के दर्शन के लिए दूर-दूर से पहुंच रहे श्रद्धालु
गायत्री शक्तिपीठ मंदिर बहुत पुराना है जहां से गायत्री परिवार का काफी लगाव रहा है ऐसे में गायत्री माता के दर्शन के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु मंदिर में पहुँचते है। फिर चाहे शारदेय नवरात्र पर्व हो या चैत्र नवरात्र पर्व लोगों की भीड़ मंदिर में स्वाभाविक लगी होती है। जहां पर शारदेय नवरात्र पर्व के दौरान जिले सहित बाहर से श्रद्धालु मां भगवती के दर्शन करने और आशीर्वाद ग्रहण करने के लिए सुबह व शाम को बड़ी संख्या में उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं जहां भक्तों की भीड़ लगी हुई है।
रोजाना किया जा रहा जाप
गायत्री शक्तिपीठ में बने साधना भवन में 1 वर्ष में आने वाली शारदेय व चैत्र नवरात्र पर्व पर ध्यान एवं साधना को जाप के रुप में करने के लिए भक्तों की लंबी कतारें लगी रहती है। इसी के तहत इस वर्ष भी करीब एक सैकड़े से ज्यादा लोग रोजाना मंदिर के साधना भवन में सुबह 6 बजे से लेकर शाम 6 बजे तक जाप करने के लिए उपस्थित होकर अपनी यथाशक्ति जाप कर माता रानी की आराधना कर रहे हैं।
4 अक्टूबर को होगा कार्यक्रम का समापन
प्रति वर्ष अनुसार इस वर्ष भी गायत्री शक्तिपीठ में शारदेय नवरात्र पर्व हर्षोल्लास के साथ 26 सितंबर से मनाया जा रहा है जिसका समापन 4 अक्टूबर को किया जाएगा। इस अवसर पर सुबह से पांच कुंडीय गायत्री महायज्ञ किया जाएगा जिसके बाद सभी प्रकार के संस्कार निशुल्क करने के उपरांत नौ कन्या भोज और जवारो का विसर्जन कर श्रंगार वितरण कार्यक्रम के साथ समापन किया जाएगा।