ग्रामीणों ने नहर के अंदर से मादा चीतल को निकालकर बचाई जान

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नगर मुख्यालय से लगभग ५ किमी. दूर ग्राम पंचायत धरपीवाड़ा से गुजरी ढूटी वीयर वैनगंगा बड़ी नहर के अंदर पानी में गिरे मादा चीतल को रविवार की सुबह ग्रामीणों की मदद से सुरक्षित बाहर निकालकर प्राथमिक उपचार कर वन विभाग को सौंप दिया है, अगर ग्रामीणजन चीतल को नही देखते तो आवारा कुत्ते उनका शिकार कर देते। प्राप्त जानकारी के अनुसार धरपीवाड़ा के ग्रामीणजन रविवार की सुबह ९ बजे ग्राम के समीप से गुजरी ढूटी वीयर वैनगंगा बड़ी नहर स्थित खेत में महुआ चुनने गये थे तभी कुछ ग्रामीणों को नहर की पार के ऊपर आवारे कुत्ते एवं नहर के पानी के अंदर तीन चीतल दिखाई दिये जिसके बाद तत्काल आवारा कुत्तों को भगाया गया और कुछ ग्रामीण नहर के अंदर घुसकर तीन चीतलों को बाहर निकाले जिसमें से दो चीतल भागने में सफल हो गये एवं एक चीतल को चोट लगने के कारण वहां भाग नही पाया। जिसे मोटरसाइकिल में तत्काल धरपीवाड़ा सरपंच संजय कटरे के निवास में लाया गया और वन विभाग को सूचना देकर प्राथमिक उपचार किया गया जिसके बाद वन विभाग के अधिकारी पहुंचे जिन्होने घायल मादा चीतल को लालबर्रा पशु चिकित्सालय लेकर आये जहां प्राथमिक उपचार कर स्वस्थ होने के बाद जंगल क्षेत्र में छोड़ दिया है। बताया जा रहा है कि गर्मी प्रारंभ हो चुकी है और खमरिया-वारासिवनी क्षेत्र की जंगल की ओर से ३ चीतल प्यास लगने पर पानी पीने के लिए धरपीवाड़ा नहर की ओर आये होगें तभी आवारा कुत्तों ने उनका पीछा किया होगा और वे बाहर निकलने का प्रयास किये होगें परन्तु सीमेन्टीकरण नहर होने के कारण बाहर नही निकल पाये ऐसी स्थिति में चीतल को मामूली चोटे आई होगी परन्तु एक मादा चीतल को पैर में चोट आई है, अगर महुआ चुनने गये किसान की नजर नहर में बहे रहे चीतलों पर नही पड़ती तो वे पानी के साथ बहते रहते या फिर सुनसान स्थान पर उनका शिकार कर लिया जाता परन्तु धरपीवाड़ा के ग्रामीणों की मदद से नहर के अंदर से ३ चीतलों को सुरक्षित बाहर निकाला गया जिसमें २ स्वस्थ थे वहां भाग गये और एक चीतल जिसकी उम्र्र करीब २ वर्ष है वहां नही भाग पाया जिससे पैर में चोटे आई है जिसका प्राथमिक उपचार कर जंगल क्षेत्र में छोड़ दिया गया है।

दूरभाष पर चर्चा में वन परिक्षेत्र दक्षिण सामान्य लालबर्रा के वन परिक्षेत्राधिकारी हर्षित सक्सेना ने बताया कि रविवार की सुबह १० बजे जानकारी मिली कि धरपीवाड़ा नहर के अंदर से चीतल को सुरक्षित बाहर निकाल कर धरपीवाड़ा सरपंच के निवास में रखा गया है जिसके बाद वन विभाग के कर्मचारी पहुंचकर उसका प्राथमिक उपचार कर स्वस्थ होने पर जंगल क्षेत्र में छोड़ा दिया है साथ ही बताया कि धरपीवाड़ा नहर की ओर से खमरिया-वारासिवनी का वन क्षेत्र लगा हुआ है और पानी प्यास लगने पर चीतल नहर की ओर आये होगें तभी अनियंत्रित होकर नहर में गिर गये होगें।

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