शहर में आठ नवंबर में चल रहे चार दिवसीय छठ महापर्व का गुरुवार को समापन हो गया। पारण कार्यक्रम में तड़के चार बजे से ही भोजुपरी समाज के लोगों का घाटों व कुंडों पर पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया। सुबह पांच बजे गाय के दूध का वितरण किया गया। 6:20 बजे पुष्प वर्षा, नौका विहार किया गया। सुबह 6:31 बजे छठव्रती महिलाओं ने सामूहिक रूप से उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया गया। गाय के दूध से डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर भोलपुरी समाज ने छठ महापर्व का समापन किया। छठ महापर्व के समापन के मौके पर व्रतधारी महिलाओं ने व्रत खोला।
राजधानी में शीतलदास की बगिया, कमला पार्क, पांच नंबर, भेल बरखेड़ा, हथाईखेड़ा, प्रेमपुरा सहित शहर के करीब 50 विसर्जन घाटों व कुंडों पर भोजपुरी समाज के लोगों ने कमर तक पानी में प्रवेश करके सूर्य भगवान की पूजा-अर्चना की। सबकी सुख-समृद्धि और कोरोना से मुक्ति की कामना की। विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने के बाद ठेकुआ की प्रसादी का वितरण शुरू हो गया। लोगों ने एक-दूसरे को छठ महापर्व की बधाई दी।
अलग-अलग जगहों पर हुए कार्यक्रमों के समापन के बाद भोजपुरी समाज ने घाटों व कुंडों पर साफ-सफाई के लिए स्वच्छता अभियान चलाया। घाटों पर झाड़ू लगाई। खाद्य पदार्थों व पूजा-पाठ के दौरान एकित्रत हुए कचरे को एकत्रित करके कूड़ेदान में डाला। भोजपुरी एकता मंच के अध्यक्ष कुंवर प्रसाद ने बताया कि बुधवार को डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर दीपदान किया गया था। छठ मैया की भी पूजा-अर्चना की। शुक्रवार को सुबह उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ छठ महापर्व का समापन किया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की अपील पर कोरोना का दूसरा टीका लगवाने का संकल्प लिया। वहीं बिहार सांस्कृतिक परिषद के महासचिव सतेंद्र कुमार ने बताया कि छठ महापर्व का आज समापन दिन उत्साह के साथ मनाया गया। घाटों की साफ-सफाई की गई।