चंबल अंचल में सालों से कर रहे ‘कैच द रैन’, लौटा रहे धरती को पानी

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 जल शक्ति मंत्रालय के तहत काम करने वाला राष्ट्रीय जल मिशन ने बारिश के पानी को सहेजने के लिए ‘कैच द रैन” अभियान की तैयारी की है। सोमवार को विश्व जल दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसे प्रारंभ करेंगे। ऐसा ही अभियान चंबल अंचल के मुरैना और श्योपुर जिले में कई साल से सफलतापूर्वक चल रहा है। इसके जरिये लोग दर्जनों स्रोतों का जलस्तर ऊंचा उठा चुके हैं।

श्योपुर में गांधी सेवा आश्रम ने जर्मनी की संस्था जीआईजेड एवं हैदराबाद एफप्रो संस्था के साथ मिलकर 2016 में आदिवासी विकास खंड कराहल के डाबली, अजनोई, झरेर और बनार गांव में बारिश के पानी को सूख चुके हैंडपंप व बोर के जरिए जमीन के अंदर पहुंचाया। सूखे हैंडपंपों के चारों ओर 10 फीट गहरा बड़ा गड्ढा खोदकर उसे कोयला, रेत, कंक्रीट से भरा, जिससे जमीन के अंदर बारिश का पानी फिल्टर होकर जाए। आश्रम के प्रबंधक जयसिंह जादौन इसे इंजेक्शन पद्धति बताते हुए कहते हैं कि इसका असर यह हुआ कि सात से 10 साल पहले सूख गए हैंडपंप भी पानी देने लगे।

श्योपुर के चिमलका गांव के किसान कर्मवीर सिंह ने 2018 में खेत के सालों पहले सूख चुके बोर में पाइप लगाकर खेतों में भरे बारिश के पानी को जमीन के अंदर पहुंचाना शुरू किया। बगडुआ, रायपुरा, जावदेश्वर व कांचरमूली गांव के कई किसानों ने इसी तरह पानी बंद बोर के जरिए जमीन में प्रवेश कराया। नतीजा यह है कि इन गांवों में भूजल स्तर 165 से 150 मीटर पर आ गया है।

मुरैना के सबलगढ़ के युवा देवाशीष सरकार के खेत का कुआं सालों पहले सूख गया था। दो साल पहले उन्होंने बारिश के दौरान पानी का बहाव इस सूखे कुएं की ओर मोड़ दिया। असर यह हुआ कि देवाशीष के कुएं में अब सिंचाई लायक पानी है। आसपास का भूजल स्तर भी दो से ढाई मीटर तक बढ़ गया है और हैंडपंप व बोर गर्मी में भी भरपूर पानी दे रहे हैं।

डस्टबिन बने कुएं में सहेजा बारिश का पानी

सबलगढ़ में सरकारी कर्मचारियों की कॉलोनी में हर बारिश में जलभराव के कारण रास्ते डूब जाते थे और पानी घरों के अंदर पहुंच जाता था। 2017 में स्वास्थ्य विभाग के नेत्र सहायक शैलेंद्र जैन ने साथियों के साथ कॉलोनी के उस कुएं की सफाई करवाई, जिसमें पूरी कॉलोनी का कचरा फेंका जाता था। जहां-जहां बारिश का पानी भरता था, वहां से अलग नालियां बनाईं, जिनके जरिए बारिश का पानी इस कुएं में भरा। तब से कॉलोनी को जलभराव से मुक्ति तो मिली ही, सूख चुके हैंडपंप भी पानी देने लगे हैं।

इनका कहना

इंजेक्शन पद्धति से पानी फिल्टर होकर जमीन में जाता है। सूखे बोर व कुओं में बारिश का पानी भरने से आसपास के क्षेत्र का जलस्तर तेजी से बढ़ता है। यह बारिश के पानी को सहेजने और भूजल स्तर को बढ़ाने का सबसे कारगर तरीका है। लगातार घट रहे भूजल स्तर को बढ़ाने के लिए लोगों को बारिश के मौसम में ऐसे प्रयास करने चाहिए। ग्वालियर के तपोवन में भी एक बोर को इसी पद्धति से फिर से जीवित कर दिया। 10 साल पहले सूख चुका बोर अब पानी दे रहा है।

– डॉ. विनायक सिंह तोमर, भूजल स्तर व नदियों पर शोधकर्ता

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