बीजिंग: चीन के वैज्ञानिकों ने पहली बार चंद्रमा के सुदूर हिस्से के रहस्य को सुलझाने का कारनामा कर दिखाया है। पहली बार चीनी वैज्ञानिक और उनके अमेरिकी सहयोगी चंद्रमा के दूर वाले हिस्से पर ज्वालामुखी विस्फोटों की सटीक उम्र मापने में सक्षम हुए हैं। पहले इसके अंदाजा केवल रिमोट सेंसिंग के आकलनों के माध्यम से किया जाता था।
इसी साल जून में चीन का चांग’ई-6 मून मिशन चंद्रमा से चट्टान का सैंपल लेकर पृथ्वी पर वापस आया था। इस सैंपल का अध्ययन करने के लिए बीजिंग और ग्वांगझोऊ में स्थित चीनी विज्ञान अकादमी के वैज्ञानिकों के नेतृत्व में दो शोध टीमों का गठन किया गया। शोधकर्ताओं ने विश्लेषण के लिए रेडियोमेट्रिक डेटिंग का इस्तेमाल किया। शुक्रवार को नेचर एंड साइंस जर्नल में इस अध्ययनों को प्रकाशित किया गया।
चंद्रमा के रहस्य का खुलासा
अध्ययन में पाया गया कि चंद्रमा के दूर हिस्से पर मौजूद सबसे पुराना और सबसे गहरा गड्ढा 2.8 अरब साल पहले एक सक्रिय ज्वालामुखी थी। इसके पहले अपोलो, लूना और चांग’ई-5 मिशनों के सैंपल के अध्ययन ने यह स्थापित किया था कि चंद्र ज्वालामुखी 4 अरब से 2 अरब वर्ष पहले हुआ था। ये सभी नमूने चंद्रमा के पास वाले हिस्से से जुटाए गए थे।
चंद्र ज्वालामुखी विस्फोट के बारे में नया नजरिया
नेचर में प्रकाशित अध्ययन में इस बात पर जोर दिया गया कि 2.8 अरब वर्ष की आयु आश्चर्यजनक रूप से युवा है, क्योंकि दूर वाले हिस्से पर ज्वालामुखी गतिविधियां पारंपरिक रुप से बहुत पहले समाप्त हो गई थीं। चंद्रमा पर अधिकांश ज्वालामुखी विस्फोट पास वाले हिस्से में हुए थे, जो माना जाता है कि लगभग 3 अरब साल पहले बंद हो गए थे। हांगकांग विश्वविद्यालय के ग्रह भूविज्ञानी कियान यूकी चांग’ई-6 के सैंपल का शुरुआती अध्ययन करने वाली टीम का हिस्सा और पेपर के सह लेखक हैं। उन्होंने कहा कि ‘चांग’ई-5 और चांग’ई-6 मिशन की बदौलत चीन में अब चंद्रमा और ग्रह विज्ञान स्वर्णिम युग में हैं।’