जंगली सूअर का आतंक किसान आक्रोशित

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वारासिवनी जनपद पंचायत अंतर्गत ग्राम बनियाटोला के किसान जंगली सूअर के आतंक से बहुत ज्यादा परेशान है। जिसको लेकर किसानों में वन विभाग के खिलाफ भारी आक्रोश व्याप्त है क्योंकि लंबे समय से ग्राम के खेतों में जंगली सूअर की परेशानी बनी हुई है। वर्तमान तक वन विभाग के द्वारा उक्त समस्या पर किसी प्रकार से नहीं दिया गया है। ऐसे में किसानों को अपनी फसल में नुकसानी सहन करनी पड़ रही है तो जान का भी खतरा बना हुआ है। जबकि वर्तमान में किसानों के द्वारा भारी मेहनत पर धान की रोपाई की गई है जहां पर जंगली सूअर की उद्दंडता का भय बना हुआ है। तो वही खेतों में कार्य करने के लिए लोगों को जान का जोखिम लेकर आना-जाना करना पड़ रहा है इस दौरान कोई दुर्घटना की खबर सामने नहीं आई है। वन्य प्राणी जंगली सूअर की उपस्थित आज भी खेतों में बनी हुई है जो खेतों में जाने पर दिखाई देती है की किस प्रकार से जंगली सूअर खेतों में नुकसान करती जा रही है इसे रोकने में किसान समर्थ दिख रहे हैं।

पार परहा को पंहुचा रही नुकसान

प्रतिवर्ष की तुलना में इस वर्ष बहुत जल्दी मानसून आने पर किसानी कार्य समय रहते पूर्ण हो गया है। वर्तमान में खेतों में दवा कीटनाशक के छिड़काव एवं खेती की देखरेख का समय चल रहा है। ऐसे में रोजाना किसान खेतों में पहुंच रहे हैं परंतु वहां देखने को मिल रहा है कि खेतों के चारों तरफ जो मिट्टी की पैराफिट वाल जिसे पार या धुरा कहा जाता है उसे वन्य प्राणी जंगली सूअर के द्वारा पूरी तरह क्षतिग्रस्त कर फोड़ दिया गया है। तो वही किसानों के द्वारा जो परहा लगाया गया है उसे पर भी दौड़कर खुदाई कर परहा अस्त-व्यस्त कर दिया गया है। तो वही पार की मिट्टी से ढकने के कारण पर किनारे का परहा खराब होने लगा है जहां पर रोजाना किसानों के द्वारा व्यवस्था बनाने का कार्य किया जा रहा है। यह स्थिति ग्राम के शिव मंदिर के तरफ एवं जंगल की तरफ बनी हुई है जहां किसान काफी आक्रोश में दिखाई दे रहा है।

अच्छी फसल की आस में किसान खेतों में लगातार सुधार कार्य करने के साथ ही समय-समय पर दवा का छिड़काव भी कर रहा है। परंतु एक समस्या से किसान वर्तमान में काफी परेशान है कि जंगली सूअर के द्वारा उसके खेत के चारों तरफ की पार को खोद कर रख दिया गया है ऐसे में पार पर लगने वाली तुअर और तिल्ली की फसल का स्पष्ट नुकसान दिख रहा है। तो वही धान पकाने के लिए खेत में पानी नहीं रख पा रहा है ताकि पौधों को पर्याप्त रूप से पानी मिल सके एवं दवा भी ठीक से पानी के अभाव में काम नहीं कर पा रही है। रही बात पर तैयार करने की तो खेत में परहा लगाकर हो गया है ऐसे में पार तैयार करना बहुत मुश्किल नजर आ रहा है फिर भी किसानों के द्वारा पार की मरम्मत की जा रही है फिर भी जंगली सूअर उसे भी खराब कर रही है।

किसान प्रकाश उइके ने पद्मेश से चर्चा में बताया कि खेती किसानी हमारा काम है इसी पार से हमारी आजीविका निर्भर करती है। हमारे खेतों में सूअर ने लगाए गए धान के रोपे और पार को बहुत नुकसान पहुंचा है। अभी तक किसी व्यक्ति पर हमला जंगली सूअर के द्वारा नहीं किया गया है केवल वह खेतों में खोदकर नुकसान कर रही है। इसकी शिकायत हमने नहीं करें है परंतु ऑनलाइन शिकायत मुख्यमंत्री पोर्टल में करने की तैयारी कर रहे हैं। करीब 5 एकड़ जमीन है जहां पर हम खेती करते हैं वह पूरी खराब होती जा रही है जिससे बचने के लिए हमारे द्वारा हर संभव प्रयास किया जा रहा है। हम भी यही चाहते हैं कि शासन स्तर पर इनसे जो बचाव विभाग के द्वारा किया जा सकता है वह करना चाहिए और इन पर रोक लगनी चाहिए। क्योंकि इसके कारण हमारी फसल भी बर्बाद होगी जिसका सीधा असर उत्पादन पर ही पड़ेगा।

किसान नाथूलाल मर्सकोले ने बताया कि वह भी खेती किसानी करते हैं परंतु बहुत ज्यादा समस्या वन्य प्राणी जंगली सूअर की बनी हुई है। यह हमारे बनिया टोला ही नहीं पास में वारा और इधर कायदी वाले क्षेत्र में भी बहुत ज्यादा परेशान कर दिया है। पूरे खेत में खोद रही है परहा को नुकसान पहुंचा रही है फसल को नुकसान हो रहा है अब हम मिट्टी लाकर पार भी तैयार नहीं कर सकते। क्योंकि परहा लगा दिया गया है और यह जो पार को खोदा है तो उसकी मिट्टी किनारे में लगी धान के रुपए पर गिरने से वह दब गया है जो खराब हो रहा है। तुअर और तिल्ली जो हमारे द्वारा पार पर लगाई जाती है कि थोड़ा इधर भी फसल का लाभ हो जाए परंतु वह पूरी तरह नष्ट हो गई है। इस कारण से हमारे यहां शिव मंदिर के तरफ करीब 20 से ज्यादा एकड़ जमीन प्रभावित है वहीं जंगल में 100 एकड़ से ज्यादा जमीन प्रभावित है यह जंगली सूअर जंगल में रहती है या तालाब के पास जिसका भय लगा रहता है।

इनका कहना है

दूरभाष पर चर्चा में बताया कि उक्त संबंध में हमें जानकारी नहीं थी यदि ऐसा कुछ है तो मौका निरीक्षण कर व्यवस्था बनाने और किसने की फसल को सुरक्षित करने के लिए कार्य किया जायेगा।

छत्रपाल सिंह जादौन रेंजर वारासिवनी

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