(उमेश बागरेचा)
बालाघाट ( पदमेश न्यूज ) आगामी 28 जुलाई को जिले की 10 जनपद पंचायतों में अध्यक्षों का निर्वाचन होना है। इनमे से अधिकतर में भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष तथा 3 से 4 जनपदों में कांग्रेस के अध्यक्ष बैठने की संभावना व्यक्त की जा रही है । इन्ही में से एक मुख्यालय बालाघाट जनपद पंचायत जिसमें परसवाड़ा क्षेत्र के विधायक एवं प्रदेश शासन के राज्य मंत्री रामकिशोर कावरे के क्षेत्र से सदस्य चुनकर आते हैं में अध्यक्ष पद को लेकर कांग्रेस एवं भाजपा दोनों में ही पुरजोर नूरा कुश्ती हो रही है। इस जनपद पंचायत में अध्यक्ष का चुनाव मंत्री रामकिशोर कावरे की प्रतिष्ठा का प्रश्न बना हुआ है, क्योंकि यदि वे यहां भाजपा समर्थित अध्यक्ष निर्वाचित नहीं करा पाए तो इसका सीधा असर 15 माह बाद होने वाले विधानसभा के चुनाव में उन पर पड़ेगा। इसलिए श्री कावरे अपनी पूरी शक्ति यहां झोके हुए हैं। वैसे भी उनके क्षेत्र से जिला पंचायत के लिए भाजपा का एक भी प्रत्याशी निर्वाचित न होना उनके पीछे प्रश्न चिन्ह छोड़ रहा है। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस समर्थित जनपद सदस्य भुरू पटेल भी कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी के रूप में अध्यक्ष पद पर निर्वाचित होने पूरे दमखम से दावा ठोंक रहे हैं। 25 सदस्यीय इस जनपद में कांग्रेस-भाजपा से 10-10 सदस्य तथा निर्दलीय 5 सदस्य विजयी हुए हैं। लेकिन जहां भाजपा समर्थक 18 सदस्यों के समर्थन का दावा कर रहे हैं वहीं भुरू पटेल भी अपने समर्थन में 18 सदस्यों के होने का दावा कर रहे हैं। तथा यह भी कह रहे हैं कि कुछ भाजपा और निर्दलीय सदस्यों का समर्थन उनके साथ है। यहां एक प्रमुख उल्लेखनीय बात यह है कि कांग्रेस में अध्यक्ष पद को लेकर कोई खींचतान नहीं है, भुरू पटेल सर्व सम्मत प्रत्याशी है, लेकिन भाजपा में एक अनार सौ बीमार वाली कहावत चरितार्थ हो रही है, एक दो नहीं बल्कि तीन सदस्य भाजपा से प्रत्याशी होने का दावा ठोंक रहे हंै। हालांकि मंत्री श्री कावरे ने भाजपा प्रत्याशी के रूप में फूलचंद सहारे के नाम की पैरवी कर दी है और माना जा रहा है कि फूलचंद सहारे ही भाजपा की ओर से अधिकृत प्रत्याशी होंगे, बावजूद इसके भाजपा पक्ष से दो अन्य सदस्य श्रीमती रंजना वैद्य तथा महेश शरणागत भी अध्यक्ष पद पर अपना दावा बता रहे हैं। इससे आसानी से समझा जा सकता है कि अध्यक्ष पद को लेकर भाजपा में विवाद है वहीं दूसरी ओर कांग्रेस में अध्यक्ष पद को लेकर कोई विवाद नहीं है। सूत्रों के अनुसार मंत्री कावरे समर्थकों की ओर से कहा जा रहा है कि उनके बेड़े में 18 सदस्य है जो सभी साथ में सैर-सपाटा कर रहे हैं, जिनमें कुछ निर्दलीय एवं कुछ कांग्रेस के सदस्य है। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के भुरू पटेल समर्थकों का कहना है कि सदस्यों के साथ होने की जो फोटो भाजपा द्वारा वायरल की जा रही है, वह निर्वाचन के बाद स्वागत हुआ था उसकी है। साथ ही पटेल के पक्ष का कहना है कि भाजपा द्वारा जो 18 सदस्यों के साथ होने की बात कही जा रही है पूरी तरह निराधार है जो कुछ सदस्यों के रिश्तेदारों को डरा-धमकाकर साथ रखा हुआ है। इन परिस्थितियों के चलते जो परिदृश्य सामने आ रहा है उसके अनुसार यह माना जा सकता है कि बालाघाट जनपद पंचायत की पिक्चर अभी साफ नहीं है। भाजपा-कांग्रेस दोनों के अपने-अपने दावे हैं, लेकिन हकीकत में दोनों ही पक्ष आशंकित है, तभी एक-दूसरे के समर्थक प्रत्याशियों को उठाने की बाते सामने आ रही है। यहां उल्लेखनीय यह भी है कि परिणाम के पूर्व भाजपा की ओर से अध्यक्ष पद के लिए श्रीमती रंजना वैद्य को आश्वासन दिया गया था जिसकी पुष्टि स्वयं रंजना वैद्य ने पद्मेश से चर्चा में की है, रिजल्ट के बाद उन्हें प्रत्याशी ना बनाए जाने को लेकर उनकी नाराजगी स्पष्ट दिखाई दी। इसी तरह भाजपा पक्ष के महेश शरणागत भी अपनी दावेदारी के लिए लगातार पार्टी संगठन के लोगों से संपर्क कर रहे हैं। इन परिस्थितियों के चलते इस संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता कि भाजपा-कांग्रेस दोनों ही पक्ष के सदस्यों की ओर से क्रास वोटिंग हो सकती है, तथा विजय पराजय की संभावना दोनों ही पक्षों की 50-50 की है। एक बात का उल्लेख करना आवश्यक है कि कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी भूरू पटेल अध्यक्ष पद के लिए स्वयं अकेले संघर्षरत है, कांग्रेस संगठन की ओर से सहयोग जीरो में नहीं बल्कि माइनस में कहेंगे। भूरू पटेल पक्ष का कहना है कि फूलछाप कतिपय कांग्रेसी अपने आर्थिक हितों के कारण मंत्री श्री कावरे के पक्ष के प्रत्याशी के लिए अपनी शक्ति का उपयोग कर रहे हैं और ये ऐसे कांग्रेसी हैं जो समय-समय पर प्रदेश नेतृत्व के चहेते हो जाते है ।