शासन की मंशा के अनुरूप प्रदेश के समस्त जिलों में जनता की समस्याओं को सुनने और उनका त्वरित निराकरण करने के लिए प्रत्येक मंगलवार को जनसुनवाई का आयोजन किया जाता है ताकि जनसुनवाई में पहुंचने वाले लोगों से आवेदन लेकर उनकी समस्याओं का समाधान किया जा सके। लेकिन जिले में आयोजित होने वाली जनसुनवाई में जनता की सुनवाई नहीं की जा रही है। यह आरोप
जिला मुख्यालय से करीब 5 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम पंचायत भरवेली के पूर्व उप सरपंच मोबिन खान ने लगाया है ।जिन्होंने जनता की सुनवाई ना होने और समस्याओं का निराकरण ना होने पर ऐसी जनसुनवाई को बंद कर दिए जाने की बात कही है ।दरअसल मंगलवार को कलेक्टर कार्यालय में आयोजित जनसुनवाई में भरवेली पूर्व उपसरपंच मोबिन खान अन्य ग्रामीणों के साथ पहुंचे थे जहां उन्होंने बताया कि पंचायत में पूर्व में किए गए निर्माण कार्यों के बिलों का अब तक भुगतान नहीं हो पाया है। जिसके चलते मटेरियल सप्लायर रोजाना परेशान कर रहे हैं।इसके अलावा उनके साथ जनसुनवाई में पहुंचे अन्य ग्रामीणों ने भी बताया कि एक ही समस्या के लिए कई बार जनसुनवाई में आवेदन लगा चुके हैं उसके बावजूद भी उनकी सुनवाई नहीं हो पा रही है और हर बात समस्या का निराकरण करने की बजाय आश्वासन पर आश्वासन दिए जाते हैं जिस पर अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए पूर्व उपसरपंच मोबिन खान ने जनता की सुनवाई ना होने की बात कहते हुए सुनवाई ना होने पर ऐसी जनसुनवाई को बंद किए जाने की बात कही है।
एक आवेदन करने में आता है 100 से ढेड़ सौ रु का खर्च
उन्होंने बताया कि किसी एक समस्या को लेकर दूरदराज से लोग जनसुनवाई में पहुंचते हैं जो 50 से 60 आवेदन बनाने में खर्च करते हैं।वही पैसे के अभाव में कई लोग बालाघाट बस स्टैंड पहुंचकर पैदल कलेक्टर कार्यालय जाते हैं तो कई लोग 100 रु का पेट्रोल डालाकर कलेक्टर कार्यालय पहुंचते हैं ताकि उनकी समस्या का निराकरण हो सके। लेकिन यहां ऐसा नहीं होता।आवेदन बनाने,पेट्रोल खर्च करने और समय बर्बाद करने के बावजूद भी अधिकारी लोग उनकी समस्या का निराकरण नहीं कर पाते ।जिसके चलते आवेदकों को पुनः अपनी वही समस्या को लेकर कलेक्टर कार्यालय के कई चक्कर लगाने पड़ते हैं और हर बार उनका समय और पैसा खर्च होता है।लेकिन उनकी समस्या का निराकरण नहीं हो पाता।जिस पर अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए उन्होंने ऐसी जनसुनवाई को बंद कर दिए जाने की बात कही है