जबलपुर नगर निगम के पूर्व आयुक्त समेत सात लोगों के खिलाफ ईओडब्ल्यू में एफआइआर

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लीज नवीनीकरण के कार्य में शासन को लाखों रुपये का चूना लगाने वाले नगर निगम के पूर्व आयुक्त समेत सात लोगों के खिलाफ ईओडब्ल्यू ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत एफआइआर दर्ज की है। आरोपितों ने नेपियर टाउन स्थित 900 वर्गफीट के प्लाट काे कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर 1693 वर्गफीट में लीज नवीनीकरण व भवन नामांतरण करा दिया था। जिसके आधार पर भवन अनुज्ञा प्राप्त कर शासन को करीब 12 लाख 15 हजार रुपये व 793 वर्गफीट अपंजीकृत रकवा पर स्टाम्प शुल्क की हानि उठानी पड़ी थी। जिन लोगों के खिलाफ एफआइआर दर्ज की गई हैं उनमें मालती माला राय पिता बाला प्रसाद पेठिया निवासी 237 शील भवन नेपियर टाउन मोहित काम्पलेक्स, नितिन कुमार पाहुजा पिता करम चंद्र पाहुजा निवासी 610 छोटी ओमती, विनोद प्रेमचंदानी पिता मनोहरलाल प्रेमचंदानी निवासी 943/टीएफए एफ-6 दत्त इंक्लेव गीतांजलि विद्यालय के पास नेपियर टाउन, दीपक खत्री पिता मोहनदास खत्री निवासी 212 कचनार संभार नेपियर टाउन, नगर निगम के तत्कालीन आयुक्त केएस दुग्गल, नगर निगम के तत्कालीन सहायक यंत्री एके रेजा, नगर निगम के तत्कालीन उपयंत्री बीण केदुबे समेत अन्य आरोपित शामिल हैं। उक्त कार्रवाई आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (इकाई) जबलपुर इकाई के एसपी देवेंद्र सिंह राजपूत के निर्देश पर की गई।

ईओडब्ल्यू अधिकारियों ने बताया कि आरोपित मालती माला राय ने भंवरताल एक्सटेंशन क्रमांक-69 स्थित बलवंत कौर का मकान खरीदा था। जिसका कुल रकबा 900 वर्गफीट था। बलवंत ने उक्त मकान 8 फरवरी 1979 को बेचा था। मालती ने नगर निगम आयुक्त समेत अन्य अधिकारियों व बिचौलियों की साठगांठ से 900 वर्गफीट की अचल संपत्ती में 1693 वर्गफीट का लीज नवीनीकरण व नामांतरण करवा लिया। जिसके बाद 81 लाख रुपये में उक्त संपत्ती नितिन पाहुआ व अन्य लोगों को 3 जनवरी 2019 को बेच दी गई।

स्वयं काे मालिक बताकर प्राप्त की अनुमति : संपत्ति का विक्रय करने के बावजूद मालती राय ने भवन निर्माण अनुज्ञा के लिए नगर निगम में आवेदन कर दिया। जिसके लिए निगम में झूठा शपथ पत्र दिया गया था। 25 जनवरी 2020 को उसने भवन अनुज्ञा अनुमति प्राप्त कर ली थी। जिसके बाद नितिन पाहुजा, दीपक खत्री, विनोद प्रेमचंदानी ने पूर्व में निर्मित मकान को तोड़कर पुन: निर्माण कराया गया। इस प्रकार मालती, पाहुजा, खत्री, प्रेमचंदानी एवं नगर निगम के तत्कालीन अधिकारियों ने षडयंत्र पूर्वक कूटरचित दस्तावेजों के आधार धोखाधड़ी करते हुए लीज ट्रांसफर, लीज नवीनीकरण कर स्वयं मालिक न होते हुए भवन अनुज्ञा प्राप्त कर ली थी।

इन धाराओं के तहत एफआइआर : आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ मुख्यालय भोपाल से शिकायत मिलने के बाद ईओडब्ल्यू एसपी राजपूत ने एसआइ कीर्ति शुक्ला को जांच के निर्देश दिए थे। जांच में फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद सातों आरोपितों के खिलाफ धारा 120बी, 420, 467, 468, 47, तथा 7 (सी) भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 संशोधित 2018 के तहत एफआइआर दर्ज की गई।

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