भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) इंदौर ने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान (एनआइडीएम) नई दिल्ली के सहयोग से अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन की शुरुआत हुई। सम्मेलन में शिक्षाविदों, वैज्ञानिकों, इंजीनियरों, शोधकर्ताओं, पेशेवरों, चिकित्सकों और सलाहकारों द्वारा जल संसाधन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन के बारे में अपने नवीनतम निष्कर्षों को प्रस्तुत करने और चर्चा करने के लिए एक अकादमिक मंच है। सम्मेलन में जलवायु परिवर्तन का भी पता लगाने की कोशिश की जाएगी।
सम्मेलन के पहले दिन आइआइटी इंदौर के एसोसिएट प्रोफेसर डा. मनीष कुमार गोयल ने कार्यक्रम के बारे में प्रतिभागियों को अवगत कराया। एनआइडीएम के प्रमुख प्रो. अनिल के गुप्ता ने कार्यक्रम में शामिल प्रतिभागियों का स्वागत किया। आइआइटी इंदौर के कार्यवाहक प्रो. नीलेश कुमार जैन ने आयोजकों और प्रतिभागियों को प्रोत्साहित किया और बधाई दी। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि मध्य प्रदेश सरकार के सचिव मुकेश चंद गुप्ता थे। उन्होंने पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली और स्थिरता के बारे में विचार साझा किए।
कार्यक्रम के विशेष अतिथि संयुक्त राज्य अमेरिका के अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के सहायक निदेशक डा. राल्फ चामी ने कल्याण और आर्थिक प्रणाली के लिए प्रकृति का मूल्य विषय पर व्याख्यान दिया। आइआइटी इंदौर के संचालक मंडल के अध्यक्ष पद्मश्री प्रो. दीपक बी फाटक ने मुख्य अतिथि के रूप में की प्रतिभागियों को बधाई देकर उत्साह बढ़ाया। कार्यक्रम में भारत के संस्थानों के अलावा बाहर के देशों के भी करीब 150 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।
सम्मेलन में भारतीय सेना, पर्यावरण विज्ञान विभाग, मौसम विज्ञान विभाग, इसरो, सीएसआइआर, टेरी, इग्नू और राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान सहित विभिन्न सरकारी संगठनों से भी कई प्रतिभागी शामिल हुए। सम्मेलन में 110 से अधिक शोध पत्र प्राप्त हुए थे। इसमें से 85 का चयन पांच तकनीकी सत्रों में प्रस्तुतिकरण के लिए किया गया है। प्रत्येक तकनीकी सत्र में सर्वश्रेष्ठ रिसर्च पेपर काे पुरस्कार दिया जाएगा।