साल 2014 के लोकसभा चुनाव में पहली बार देश में मतदाताओं को नोटा का अधिकार मिला था। इस व्यवस्था के तहत मतदाता को यदि कोई प्रत्याशी पसंद नहीं आता है तो वह नोटा का विकल्प चुन सकता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि देश में हरियाणा एक ऐसा राज्य हैं, जहां चुनावों में NOTA की भी जीत हो चुकी है, यानी जनता ने सभी दलों के प्रत्याशियों को सिरे से नकार दिया है। यहां जानें क्या है पूरा किस्सा।
साल 2014 के लोकसभा चुनाव में पहली बार देश में मतदाताओं को नोटा का अधिकार मिला था। इस व्यवस्था के तहत मतदाता को यदि कोई प्रत्याशी पसंद नहीं आता है तो वह नोटा का विकल्प चुन सकता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि देश में हरियाणा एक ऐसा राज्य हैं, जहां चुनावों में NOTA की भी जीत हो चुकी है, यानी जनता ने सभी दलों के प्रत्याशियों को सिरे से नकार दिया है। यहां जानें क्या है पूरा किस्सा।
जब हरियाणा में हुई NOTA की ‘जीत’
हरियाणा में लोकसभा और विधानसभा चुनावों में NOTA का विकल्प छुपा रुस्तम साबित हो चुका है। NOTA के कारण आम आदमी पार्टी और शिरोमणि अकाली दल जैसे दलों के प्रत्याशी को भी मात मिली है। इसके अलावा 80 फीसदी से अधिक निर्दलीय प्रत्याशियों को भी पटखनी मिली है। साल 2014 में जब पहली बार NOTA लागू किया गया था तो लोकसभा चुनाव के दौरान 34220 लोगों को कोई प्रत्याशी पसंद नहीं आया।