कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर का जिले के भीतर इतना अधिक लोगों में डर फैल गया है कि अपने शिशु से लेकर 10 वर्ष तक के बच्चों को जीवन रक्षक टीके लगवाने से परहेज करने लगे हैं। जिला अस्पताल का शिशु टीकाकरण केंद्र में सामान्य दिनों में जहां आधा सैकड़ा से अधिक बच्चों को टीके लगते थे अब उनकी संख्या सिमटकर दर्जनभर रह गई हर।
अप्रैल महीने से लागू कोरोना कर्फ्यू से आम जिंदगी घरों में कैद हो गई। कोरोना वायरस की तीसरी लहर को बच्चों के लिए अधिक प्रभावी बताया जा रहा है। ऐसे में अभिभावक और अधिक डर गए इस कारण उन्होंने बच्चों को घर से बाहर निकालने से तौबा कर ली। दूसरी और परिवहन के सभी साधन बंद हो गए नतीजा बच्चों के टीकाकरण की संख्या में बेहद कमी आ गई।
इस बीच अच्छी बात यह है कि बच्चे घरों में रहकर बीमार नहीं पढ़ रहे हैं निश्चित ही अभिभावक इस बात से खुश होगे, लेकिन दूसरी और बच्चों को समय-समय पर लगने वाले जीवन रक्षक टीको के लगाने में गेप होने समय पर नही लगने की वजह से बच्चो की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने की भी जानकारी विशेषज्ञ दे रहे हैं। साथ ही वे माता-पिता को सलाह दे रहे हैं कि अपने बच्चों को समय पर टीका लगवाए। इस कार्य में लापरवाही ना बरते।