जिले में साइबर ठगी का ग्राफ दिन प्रतिदिन बढ़ते ही जा रहा है और साइबर ठगों द्वारा साइबर ठगी के नए-नए मामले महानगरों की तर्ज पर अब जिले में भी किए जाने लगे हैं जिसमे साइबर ठगों द्वारा जिले की भोली भाली जनता को कभी विदेश से आए गिफ्ट के नाम पर ,तो कभी बेटे को दुष्कर्म के मामले में बचाने के लिए , तो कभी क्राइम ब्रांच से बोल रहा हूं या सीबीआई अधिकारी बनकर फोन पर धमकी दी जाती है और कहा जाता है कि यदि आप उन्हें पैसे नहीं देंगे तो वह इन विभिन्न केशों में आप को फसा देंगे या बदनाम कर देंगे नही तो उन्हें जेल भेज देंगे जिससे जिले की भोली भाली जनता साइबर ठगी का शिकार हो रही है ऐसे ही दो मामले जिले में सामने आए हैं जिसमें पहले मामले में विदेश गिफ्ट भेजने के मामले में 80, हजार रूपये की साइबर ठगी की गई है तो वहीं बेटे को दुष्कर्म से बचाने मामले में 60000 रूपये की मांग की गई थी जिसमें पिता द्वारा 15, हजार रूपये दे दिया गया ऐसे कुल मिलाकर 95 हजार रूपये की साइबर ठगी साइबर ठगों द्वारा की गई है
आपको बता दे की इन दिनों जिले में पिछले एक महीने में विदेश से आया तोहफा प्राप्त करने, बेटे को दुष्कर्म के मामले से बचाने पुलिस, क्राइम ब्रांच और सीबीआइ अधिकारी बनकर धमकी देकर पैसे ऐंठने के मामले बढ़े हैं। महीनेभर में ही इस तरह के करीब पांच से छह मामले सामने आ चुके हैं। ताजा मामला एक निजी स्कूल के प्राचार्य और एरिया सेल्स मैनेजर की नौकरी करने वाले युवक का है, जिन्हें झूठे केस में फंसाने या इससे बचाने के नाम पर ठगों ने न सिर्फ पीड़ितों को मानसिक रूप से प्रताड़ित किया, बल्कि उनकी गाढ़ी कमाई भी ऐंठ ली। दोनों मामलों के पीड़ितों ने कोतवाली स्थित साइबर नोडल शाखा में शिकायत दर्ज कराई है। जानकारी के अनुसार, कोतवाली थाना क्षेत्र में रहने वाले प्राचार्य को लगातार दो दिनों तक ठगों ने मुंबई क्राइम ब्रांच और सीबीआइ अफसर बनकर मनी लांड्रिंग, मानव और अवैध मादक पदार्थाें की तस्करी में फंसाने का डर दिखाया। प्राचार्य डर के चलते ठगों के जाल में फंसे भी और 80 हजार रुपये आनलाइन ट्रांसफर कर दिए, लेकिन दूसरी बार संदेह होने पर उन्होंने तत्काल इसकी सूचना पुलिस को दी। इसी तरह शुक्रवार को पेशे से दर्जी का काम करने वाले व्यक्ति को उनके 25 वर्षीय पुत्र को दुष्कर्म के केस में गिरफ्तार करने और उसे बचाने के लिए पुलिस बनकर ठगों ने काल किया और 60 हजार की मांग की। पिता ने डर के चलते 15 हजार रुपये ट्रांसफर कर दिए।
पहला मामला थाईलैंड के लिए बुक किया सामान
प्राप्त जानकारी के अनुसार, निजी स्कूल के प्राचार्य को कुछ दिन पहले एक कुरियर कंपनी के नाम से फर्जी काल आया और बताया गया कि प्राचार्य ने मुंबई से थाइलैंड के लिए कोई सामान बुक कराया है, जो संदिग्ध है। कालर ने प्राचार्य को टोल फ्री नंबर देकर बात करने कहा। यहां कालर ने प्राचार्य को साइबर क्राइम का शिकार होने का डर दिखाकर अपने उच्च अधिकारियों से संपर्क कराने का दिलासा दिया। ठगों द्वारा प्राचार्य से दो दिनों तक फोन काल और स्काइप पर लगातार बातें होती रहीं। अगले दिन कस्टमर केयर से फर्जी फोन आया और प्राचार्य को बताया गया कि आपके आधार कार्ड व पेन कार्ड के जरिए मुंबई में बैंक खाता खोला गया है। इस खाते में पैसों का लेन-देन हुआ है, जो मनी लांड्रिंग, मानव तस्करी व ड्रग की स्मगलिंग से संबंधित हैं। ये संवेदनशील मामला है और आप (प्राचार्य) इसमें फंस सकते हो। कुछ देर बार ठग को फोन आया और बताया कि आपके बालाघाट स्थित बैंक खाते में 32 प्रतिशत लेन-देन संदेह के घेरे में है। इसलिए आपको अपनी संपत्ति की चार प्रतिशत राशि जमा करनी होगी। ऐसा न करने पर प्राचार्य को उनकी संपत्ति जब्त करने की धमकी भी दी गई। ठगों की बातों को सच मानकर प्राचार्य ने 80 हजार आनलाइन ट्रांसफर कर दिए, लेकिन संदेह होने पर उन्होंने ठगों का फोन उठाना ही बंद कर दिया और पुलिस को इसकी सूचना दी।
दूसरा मामला 376 के केस से बचाने के लिए
उकवा निवासी 25 वर्षीय मो. निखित कुरैशी एक टेलीकाम कंपनी में एरिया सेल्स मैनेजर के पद पर कार्यरत हैं। उन्होंने शनिवार को साइबर नोडल शाखा में शिकायत दर्ज कराते हुए बताया कि उनके पिता मो. हनीफ कुरैशी को शुक्रवार को एक अनजान नंबर से काल आया और कालर ने खुद को बिरसा पुलिस से होना बताया और कहा कि आपके बेटे और उसके कुछ दोस्तों को दुष्कर्म के मामले में गिरफ्तार किया गया है। अगर उसे बचाना है, ताे 60 हजार रुपये आनलाइन ट्रांसफर कर दो। मो. निखित ने बताया कि उनके पिता उकवा में ही पेशे से दर्जी का काम करते हैं। मुझे काम के सिलसिले में अक्सर विभिन्न क्षेत्रों में विजिट करना होता है। शुक्रवार को मैं दमोह (सालेटेकरी) गया हुआ था। इसी बीच पिता को पुलिस के नाम पर फर्जी काल आया। पुलिस और बेटे का दुष्कर्म में नाम सुनने से पिता डर गए। पिता ने पुलिस को बेटे से बात कराने कहा तो ठग ने बेटे का फोन जब्त होने की जानकारी देते हुए बात कराने से इन्कार कर दिया। फर्जी पुलिस और पिता के बीच चल रही बातचीत के बीच बेटे की हू-ब-हू आवाज सुनाई पड़ने के कारण पिता इस धोखाधड़ी को सच मान बैठे। मो. हनीफ ने तीन बार में 15 हजार रुपये आनलाइन ट्रांसफर कर दिए। इसके बाद पड़ोसियों ने मो. हनीफ को इस फर्जीवाड़ा के बारे में बताया।