करीब 1 करोड़ 79 लाख से शहर की दो प्रमुख सडक़ों का निर्माण कर रहे ठेकेदार पर नपाध्यक्ष और अधिकारी पूरी तरह से मेहरबान नजर आ रहे हैं। तभी तो निर्माण कार्य में ढेरों अनियमितता और लेटलतीफी जैसी कई शिकायतें सामने आने के बावजूद कार्रवाई से परहेज किया जा रहा है। यहां तक की नगर सरकार (परिषद) की महत्वपूर्ण बैठक में ठेकेदार को दिए गए निर्देशों की भी नाफरमानी सामने आ रही है। वहीं अधिकारी ठेकेदार का बचाव करते हुए एक माह का समय शेष होने की जानकारी बता रहे हैं। पूरा मामला शहर के महत्वूपूर्ण हनुमान चौक से रेलवे स्टेशन पहुंच निर्माण कार्य का है। जहां परिषद की बैठक में उक्त मार्ग का निर्माण 30 मार्च तक पुर्ण न करने पर ठेकेदार अमन गांधी को ब्लैक लिस्टेड करने की चेतावनी दी गई थी। जहां नगर पालिका अध्यक्ष द्वारा हर हाल में 30 मार्च तब काम पूरा न होने पर नपा इंजीनियर ज्योति मेश्राम को नोटिस जारी कर वैधानिक कार्यवाही करने तो वहीं ठेकेदार अमन गांधी को ब्लैक लिस्टेड करने की बात कही थी। लेकिन नपा अध्यक्ष की इस अंतिम मोहलत को आज तीन दिन बीत चुका है।बावजूद इसके भी अब तक संबंधित ठेकेदार और नपा इंजीनियर पर कोई वैधानिक कार्यवाही नहीं की गई है मतलब साफ है कि परिषद में लिए गया यह फैसला सिर्फ़ औऱ सिर्फ दिखाने के लिए लिया गया फैसला था।जहा जिम्मेदारों द्वारा स्वयं ही अपना निर्णय झुठला दिया गया है और कार्यवाही करने की जगह ठेकेदार को होने वाले नुकसान से बचाने और सड़क निर्माण का कार्य पूर्ण करने के लिए एक माह की और अधिक मोहलत देने की बात कही जा रही है।
11 मार्च की बैठक में लिया था ब्लैक लिस्टेड करने का फैसला
आपको बताए कि 11 मार्च 24 को हुई परिषद की बैठक में हनुमान चौक से लेकर रेलवे स्टेशन पहुंच मार्ग का मुद्दा उठाया गया था। इस महत्वपूर्ण बैठक में सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों पार्षदों ने ठेकेदार पर भारी लापरवाही और लेट लतीफी किए जाने की बात कही थी। तब नपा अध्यक्ष भारती ठाकुर ने ठेकेदार अमन गांधी को 30 मार्च तक की अंतिम मोहलत दी थी। उन्होंने चेतावनी देते हुए कार्य पूर्ण न होने पर ठेकेदार को ब्लैक लिस्ट करने और नपा इंजीनियर को नोटिस जारी कर वैधानिक कार्रवाई की चेतावनी दी थी। अब दी गई समय सीमा समाप्त हुए 3 दिन बीत गए है तो वही नपा सीएमओ ठेकेदार के पास एक माह और शेष होने की जानकारी दे रहे हैं।
60 प्रतिशत से अधिक अधूरा कार्य
स्टेशन पहुंच सडक़ निर्माण के शुरूआती दौर में ही दुर्गा मंदिर के बगल से गुणवत्ताहीन सडक़ बनाने की शिकायतें सामने आई। मामले की जांच भी हुई लेकिन नतीजा सिफर ही रहा। वर्तमान समय तक भी ठेकेदार ने एक तरफ से निर्माण पूरा कर लिया है। लेकिन दूसरे तरफ से सडक़ निर्माण कार्य अब भी 75 प्रतिशत से अधिक बाकी नजर आता है। बताया गया कि इसके पूर्व भी कई बार कई ठेकेदारों को डेट लाइन जारी की जा चुकी है। अब तक कोई कार्रवाई नपा प्रबंधन की ओर से नहीं की गई है।
तो फिर परिषद में लिए गए फैसले का क्या औचित्य?
इस पूरे मामले में विपक्षी पार्षदों ने नपा अध्यक्ष श्रीमती भारती सुरजीत सिंह ठाकुर की कार्य प्रणाली पर कई सवालिया निशान उठाए हैं। तो वहीं उन्होंने परिषद में लिए गए निर्णय को हर हाल में लागू किए जाने की बात कही है।जिन्होंने समय सीमा बीतने के बाद भी ठेकेदार पर कार्यवाही नही होने पर ठेकेदार के साथ आपसी साठगांठ होने की मंशा जाहिर करते हुए मामले में परिषद की गरिमा बनाए रखने की बात कही है। विपक्षी पार्षदों ने बताया कि नपाध्यक्ष शहर की प्रथम नागरिक है। उन्होंने समय सीमा तय कर जो निर्देश दिए थे वह परिषद की बैठक में दिए थे। जिसका स्वागत सभी पार्षदों ने किया था। परिषद की बैठक में कोई निर्णय लिया जाना पत्थर की लकीर के समान होता है। ऐसे लापरवाह ठेकेदार पर तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए। यदि नपाध्यक्ष ठेकेदार पर कार्रवाई नहीं करतीं हैं तो इसके बाद नपाध्यक्ष की किसी बात और घोषणा का कोई औचित्य नहीं रह जाएगा। कोई अधिकारी, ठेकेदार व कर्मचारी उनसे नहीं डरेगा। उनके शब्दों की गरिमा समाप्त हो जाएगी। इसलिए बैठक में लिए गए निर्णय अनुसार की कार्रवाई की जानी चाहिए।
ठेकेदार को बचाने का प्रयास किया जा रहा है- योगराज
इस पूरे मामले को लेकर की गई चर्चा के दौरान नगर पालिका नेता प्रतिपक्ष योगराज उर्फ कारो लिल्हारे ने बताया कि नपाध्यक्ष नगर सरकार की मुखियां होती है, उनके एक-एक शब्दों की एक गरिमा होती है। यदि वे अपने कहे अनुसार कार्रवाई नहीं करतीं है तो उनकी कथनी और करनी में अंतर माना जाएगा।वही मामले में कई सवालियां निशान खड़े होगे।उन्होंने आगे बताया कि ठेकेदार को दी गई अंतिम मोहलत बीतने औऱ समय सीमा से अधिक समय होने पर भी ठेकेदार को ब्लैक लिस्टेड नही किया गया तो हम क्या समझे कि ठेकेदार को बचाने का प्रयास किया जा रहा है। इसलिए तत्काल नियम संमत कार्रवाई की जानी चाहिए। नहीं तो नपा अध्यक्ष की बातों की गरिमा का कोई मतलब नहीं निकलेगा और परिषद में दिए गए इस निर्णय का भी कोई गरिमा नहीं रहेगी ।इसीलिए हमारी मांग है इस मामले में तत्काल कार्रवाई की जानी चाहिए।
30 अप्रैल तक अंतिम डेटलाइन है- श्रीवास्तव
वहीं पूरे मामले को लेकर दूरभाष पर की गई चर्चा के दौरान मुख्य नगर पालिका अधिकारी निशांत श्रीवास्तव ने बताया कि 11 मार्च को अयोजित परिषद की बैठक में नपाध्यक्ष ने ठेकेदार पर दबवा बनाने 30 मार्च तक निर्माण पूर्ण करने बोल दिया था। साथ ही 30 मार्च तक कार्य पूर्ण न होने पर कार्यवाही किए जाने की बात कही थी। लेकिन सडक़ के लिए डेटलाइन 30 अप्रैल तक की है। हमारा भी प्रयास है कि सडक़ निर्माण कार्य जल्द से जल्द पूरा किया जाए।