मानसून की सक्रियता अभी तक नहीं हो पाई है। सोमवार को मौसम में जरूर बदलाव हुआ और आसमान पर बादल कुछ देर तक छाए रहे। जिले में कई स्थानों पर मानसून की निष्क्रियता के चलते भूजल स्तर नीचे की ओर जा रहा है। साथ ही पेयजल संकट जैसी स्थितियां निर्मित हो सकती है। दूसरी ओर किसानों के लिए सबसे बड़ी चिंता का विषय है कि यदि वह सोयाबीन की बोवनी देरी से करते हैं तो उन्हें कई तरह की मुसीबतों का सामना करना पड़ेगा।
जून में होती है बारिश
गौरतलब है कि मौसम विभाग का पूर्वानुमान है कि जून के अंतिम सप्ताह में मानसून की सक्रियता धार जिले में बन पाएगी। एक दशक बाद इस तरह की स्थिति बनी है जबकि जून में मानसून पूर्व की एक भी बार वर्षा नहीं हुई है। आमतौर पर देखने में आता है कि हर वर्ष जून के प्रथम सप्ताह या दूसरे सप्ताह में औसत रूप से शहर व जिले में एक से दो इंच वर्षा जरूर हो जाती है।
हर साल बिगड़ती जा रही मानसून की स्थिति
कई बार तो इतनी अधिक वर्षा हो जाती है कि तालाबों में कुछ समय का पानी पीने के लिए उपलब्ध हो जाता है। जून माह की वर्षा से सूखे के हालात सुधर जाते हैं। लेकिन इस बार इस तरह की स्थिति निर्मित नहीं हुई है। हर बार मौसम विभाग का पूर्वानुमान है कि इस वर्ष मानसून सामान्य रहेगा जबकि मानसून की स्थिति साल दर साल बिगड़ते जा रही है।