टवेझरी-मझारा मार्ग फिर बंद, कई गांव का एक दूसरे से टूटा संपर्क

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मानसूनी बारिश का कहर जहां एक ओर नगरी क्षेत्र के निचले इलाकों में देखने को मिल रहा है तो वहीं इस मानसूनी बारिश ने ग्रामीण अंचलों में भी जमकर कहर बरपाया है। जहां भारी बारिश के चलते कई नदी नाले उफान पर है तो वहीं निचले स्तर के पुल डूब जाने से कई गांव का एक दूसरे से संपर्क टूट गया है। जिसका एक नजारा रविवार को परसवाड़ा विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले ग्राम टवेझरी-मझारा गांव के बीच नाले में देखने को मिला। जहां अत्यधिक बारिश होने से दोनों गांव के बीच से गुजरने वाले नाले का पुलिया डूब गया और उस पुलिया के ऊपर से पानी बहता हुआ नजर आया।जहां नाले में बाढ़ आ जाने से टवेझरी-मझारा,जागपूर सहित अन्य गांव का एक दूसरे से संपर्क टूट गया है। तो वही बाढ़ का पानी कम होते तक लोग अपने अपने गांव में कैद होने मजबूर हो गए हैं। जहां टेक्निकल स्वीकृति मिलने के बाद भी बड़े पुल निर्माण की प्रशासनिक स्वीकृति मिलने पर स्थानीय लोगों में मंत्री कावरे के खिलाफ आक्रोश देखा जा रहा है। जहां स्थानीय लोगों ने जल्द ही नाले में उच्च स्तरीय पुल के निर्माण के लिए प्रशासनिक स्वीकृति देकर बड़े पुल का निर्माण किए जाने की मांग की है।

हर बरसात में 1 सप्ताह के लिए बंद हो जाता है मार्ग
बताया जा रहा है कि यह पहली बार नहीं है कि जब अत्यधिक बारिश होने से टवेझरी-मझारा के बीच बहने वाले नाले में बाढ़ आई हो, बल्कि स्थानीय ग्रामीण प्रतिवर्ष बरसात में यह नजारा देखते हैं और हर वर्ष बरसात में करीब 1 सप्ताह के लिए यह मार्ग बंद हो जाता है। बताया जा रहा है कि इस 2 गांव को जोड़ने के लिए कई वर्ष पूर्व नाले के ऊपर एक छोटा सा पुल निर्माण कराया गया था।जिससे ग्रामीणों का एक दूसरे गांव से संपर्क बना रहता था। लेकिन अक्सर बरसात में नाले में बाढ़ आ जाती है जिससे पानी छोटे पुल से ओवरफ्लो होकर बहता रहता है।जहा बाढ़ का पानी छटने में करीब 1 सप्ताह तक का समय लग जाता है और 1 सप्ताह तक कई गांव का एक दूसरे से संपर्क टूट जाता है।

5 वर्ष बीत गए पर नहीं मिली पुल निर्माण की प्रशासनिक स्वीकृति
बताया जा रहा है कि पिछले कई वर्षों से क्षेत्रीय गांव के लोग टवेझरी-मझारा मार्ग पर बने छोटे पुल के स्थान पर उच्च स्तरीय पुल की मांग कर रहे हैं ताकि बरसात के दिनों में उन्हें किसी प्रकार की परेशानी ना हो। इसके लिए तत्कालीन विधायक मधु भगत के माध्यम से शून्य काल, प्रश्न काल लगाया गया था। बताया जा रहा है कि वर्ष 2016 में टवेझरी-मझारा मार्ग स्थित नाले पर उच्च स्तरीय पुल की स्वीकृति मिल गई थी ।जहां 22-9-2018 तक पुल की तकनीकी स्वीकृति, डीपीआर आदि बनवाकर अनुमोदन के लिए भोपाल भिजवा दिया गया है। लेकिन वर्ष 2018 में सत्ता परिवर्तन हुआ जिसके बाद से इस पुल की प्रशासनिक स्वीकृति अटकी पड़ी है। तब से लेकर आज तक इस पुल को प्रशासनिक स्वीकृति नहीं मिल पाई है। जिसके चलते हर बरसात में स्थानीय गांव के लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। वही प्रशासनिक स्वीकृति ना मिलने पर स्थानीय लोगों में वर्तमान विधायक एवं मंत्री रामकिशोर कावरे के खिलाफ आक्रोश देखा जा रहा है।

जिला मुख्यालय जाने के लिए दूसरा मार्ग भी नहीं है धीरन गेडाम
मामले को लेकर की गई चर्चा के दौरान ग्राम पंचायत मझारा निवासी ग्रामीण धीरन कुमार गेडाम ने बताया कि नाले में बाढ़ आ गई है अब मार्ग करीब 1 सप्ताह के लिए बंद रहेगा। मार्ग बंद हो जाने से काम पर आना जाना बंद हो जाएगा। गांव के बच्चे स्कूल नहीं जा पाएंगे ।हमने कई बार मंत्री से मांग की है कि इस मार्ग पर उच्च स्तरीय पुलिया का निर्माण करा दे ,लेकिन आज तक कुछ नहीं हुआ है। इस मार्ग के अलावा जिला मुख्यालय से संपर्क करने के लिए दूसरा कोई मार्ग नहीं है जिसके चलते ग्रामीणों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा।

यहां कभी भी कोई भी दुर्घटना हो सकती है-शेषराम
वही मामले को लेकर की गई चर्चा के दौरान स्थानीय ग्रामीण शेषराम नागौशे ने बताया कि यहां एक नाला है उसमें पुलिया छोटी है। जो बरसात के दिन में डूब जाती हैं और ओवरफ्लो होकर पानी बेहता रहता है। जिससे ग्रामीणों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।यहां कभी भी कोई भी दुर्घटना हो सकती है। यहां उच्च स्तरीय पुल की प्रशासनिक स्वीकृति नहीं मिलने से परेशानी बढ़ गई है। कई बार मंत्री से शिकायत किए वे बोलते हैं कि पुल बन जाएगा पर आज तक कुछ नहीं हुआ है हमारी मांग है कि इस नाले पर उच्च स्तरीय पुलिया का निर्माण कराना चाहिए।

मंत्री कावरे प्रशासनिक स्वीकृति नहीं दे रहे हैं- कटरे
वही मामले को लेकर की गई चर्चा के दौरान ग्राम पंचायत टवेझरी सरपंच नितेश कटरे ने बताया कि कि वे लगभग वर्ष 2016 के पहले से इस पुलिया को उच्च स्तरीय पुलिया में परिवर्तित करने की मांग कर रहे हैं ।उस समय मधु भगत विधायक ने याचिका के माध्यम से ध्यानाकर्षण, प्रश्नकाल, शून्यकाल में मुद्दा उठाया था।उसके बाद वर्ष 2018 में इस नाले में उच्च स्तरीय पुल का निर्माण करने की स्वीकृति मिली थी। वर्ष 2018 में ही टेक्निकल स्वीकृति मिल चुकी है, डीपीआर बनाकर अनुमोदन के साथ भोपाल भेज दिया गया है,लेकिन तकनीकी स्वीकृति मिलने के बाद प्रशासनिक स्वीकृति नहीं मिल पाई है। यदि प्रशासनिक स्वीकृति मिल जाती तो उच्च स्तरीय पुलिया का निर्माण हो जाता और लोगों को परेशान नहीं होना पड़ता।लेकिन सत्ता परिवर्तन के बाद विधायक कावरे इस पर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं। वह प्रशासनिक स्वीकृति नहीं दिलवा रहे हैं। क्योंकि यदि प्रशासनिक स्वीकृति मिलती है तोउच्च स्तरीय पुल का श्रेय पूर्व विधायक मधु भगत को मिलेगा। इस वजह से क्षेत्रीय विधायक जिन्हें मंत्री पद मिला हुआ है वे प्रशासनिक स्वीकृति नहीं करा रहे हैं।वह अपने पद की गरिमा को नहीं समझ पा रहे हैं उन्होंने दलगत की भावना से ऊपर उठकर काम करना चाहिए। गांव की जनता जब तक पुल की समस्या लेकर उनके पास जाती है तो बोलते हैं कि 4 दिन बालाघाट नहीं जाओगे तो मर नहीं जाओगे। हमारी मांग है कि यहां प्रशासनिक स्वीकृति मिलनी चाहिए जिला प्रशासन ने वर्ष 2020 में मंत्री के पास स्वीकृति के लिए पत्र भेजा था। लेकिन आज तक स्वीकृति नहीं मिली है जिससे यहां उच्च स्तरीय पुल नहीं बन पाया है ।

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