टैरिफ पर बांह मरोड़ने के संकेत, F-35 की पेशकश, 500 अरब डॉलर ट्रेड का टारगेट…मोदी-ट्रंप मुलाकात का हासिल क्या? बड़ी बातें

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नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का महत्वपूर्ण अमेरिकी दौरा पूरा हो चुका है। डोनाल्ड ट्रंप के दोबारा राष्ट्रपति बनने के बाद पीएम मोदी की ये पहली अमेरिकी यात्रा थी और अपने नए-नए कार्यकाल में दोनों नेताओं की पहली मुलाकात भी। पीएम मोदी ने मुलाकात को शानदार बताया तो ट्रंप ने भी उनके कसीदे पढ़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी। इन सबसे इतर, इस मुलाकात का हासिल क्या रहा? किन-किन अहम मुद्दों पर बात हुई? डिफेंस और ट्रेड को लेकर क्या डील हुई या फिर बात हुई? ट्रंप की तरफ से ‘टैरिफ वॉर’ की शुरुआत के बाद हुई इस मुलाकात में क्या खास रहा? आइए जानते हैं।

मुलाकात की टाइमिंग
दोनों नेताओं की मुलाकात की टाइमिंग इसे और अहम बनाती है। ये मुलाकात ऐसे वक्त में हुई जब कुछ ही घंटे पहले डोनाल्ड ट्रंप ने ‘रेसिप्रोकल टैरिफ’ का ऐलान किया था। मतलब जो देश अमेरिका से आने वाले सामानों पर जितना ड्यूटी लगाएगा, टैरिफ लगाएगा, अमेरिका भी उसी तरह संबंधित देश से आने वाले सामानों पर भी टैरिफ लगाएगा। टैरिफ के मुद्दे पर ट्रंप की आक्रामकता से भारत भी अछूता नहीं रहेगा। ऐसे माहौल में ट्रंप-मोदी की मुलाकात पर भी करीबी नजर रखी जा रही थी।

अमेरिका से F-35 खरीदेगा भारत, ट्रंप का तो यही दावा
अमेरिका भारत को पांचवीं पीढ़ी का फाइटर जेट F-35 की बिक्री करने जा रहा है। कम से कम डोनाल्ड ट्रंप ने तो यही ऐलान किया। लेकिन मोदी-ट्रंप द्विपक्षीय मुलाकात के बाद हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने कहा कि अभी ये प्रस्ताव के चरण में है। ऐसे में ट्रंप के ऐलान को एक तरह से भारत पर F-35 खरीदने के लिए दबाव बनाने की रणनीति के तौर पर भी देखा जा सकता है। दरअसल, भारत को पांचवीं पीढ़ी के फाइटर जेट चाहिए और इसके लिए रूस का SU-57 भी रेस में है। इससे पहले राफेल फाइटर डील के वक्त भी अमेरिका का F-16 रेस में था लेकिन बाजी हाथ लगी थी फ्रांसीसी कंपनी दसॉ के। अमेरिका चाहेगा कि भारत जितना ज्यादा मुमकिन हो, अपने हथियारों की खरीद उसी से करे। रूस से खरीदारी से उसकी नाक-भौं सुकड़ेगी। एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम के मामले में भी ऐसा हो चुका है।

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