मध्यप्रदेश शासन स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा गरीब वर्ग के बच्चों को भी बेहतर शिक्षा प्रदान किए जाने के उद्देश्य को लेकर शहर के सबसे पुराने स्कूल में से एक बुनियादी प्रशिक्षण संस्थान डाइट के प्राथमिक स्कूल को पूरी तरह अंग्रेजी स्कूल में तब्दील कर दिया गया। कोर्स तो बदला लेकिन स्कूल की तस्वीर नहीं बदली ना ही सुविधाएं। जिस कारण शासन की नीति अभी अधूरी दिखाई दे रही है।
कोविड-19 से निजी स्कूलों की फीस ने परिजनों को परेशान किया तो उन्होंने डाइट स्कूल का रुख किया नतीजा कल तक जिस स्कूल में एक सैकड़ा बच्चों के एडमिशन नहीं हो पा रहे थे आज वहां पर दर्ज संख्या करीब साढ़े तीन सौ तक पहुंच चुकी है।
बच्चों को पढ़ाने के लिए शिक्षकों की संख्या तो बेहतर है लेकिन साफ सफाई के लिए परिसर में एक भृत्य भी नहीं। यही नही इस स्कूल में सीटिंग व्यवस्था में फर्नीचर नहीं होने के कारण आज भी बच्चों को नीचे बैठाया जा रहा है।
विपक्ष के नेता प्रदेश शासन पर आरोप लगाते हुए बताते है कि घोषणा तो कर दी जाती है लेकिन सुविधा उपलब्ध कराने में लेटलतीफी की जाती है। अभिभावकों ने सरकारी स्कूल में इसी सोच के साथ अपने बच्चों का एडमिशन कराया कि सरकार का स्कूल है तो अच्छी शिक्षा और सुविधा मिलेगी लेकिन न हीं शाला में बैठने के लिए फर्नीचर की सुविधा नही की गई ।
डाइट शाला के हेड मास्टर और बीआरसी में स्कूल में सीबीएसई पैटर्न और अंग्रेजी माध्यम की वजह से बड़े हुए एडमिशन के कारण बेहद खुश दिखाई दे रहे हैं लेकिन वह भी मानते हैं कि बजट के अभाव में फर्नीचर नहीं आया।
जिला शिक्षा अधिकारी अश्विनी उपाध्याय के अनुसार डाइट शाला में जो पहले अव्यवस्था थी उसमें सुधार कर लिया गया है। इस स्कूल में ग्रीन मेट बिछा है यहां बैठकर बच्चे अध्ययन करते हैं अभी फर्नीचर की व्यवस्था यहां नहीं है शासन से जैसे ही फर्नीचर उपलब्ध होगा तो यह सुविधा भी उपलब्ध हो जाएगी।