कई ऐसी स्टडी हुई हैं जिनके आधार पर कहा जा सकता है कि डायबिटीज के मरीज अगर सीमित मात्रा में चावल खाएं तो उन्हें नुकसान नहीं होगा।“चावल में कार्बोहाइड्रेट ज्यादा होता है और जीआई स्कोर भी थोड़ा ज्यादा है।इसके बावजूद अगर इसके खाने का तरीका सही हो तो नुकसान नहीं होगा”.विशेषज्ञ कहते है शुगर के मरीजों के लिए खाने का समय होना चाहिए।उन्हें ज्यादा देर तक भूखा नहीं रहना चाहिए।
भूखे रहने के बाद पहले चावल नहीं खाना चाहिए।यदि आपको डायबिटीज है तो आप दिन में एक बार चावल खा सकते हैं।लेकिन जिस समय आप चावल खा रहे हैं उस समय रोटी नहीं खानी चाहिए।अगर चावल से स्टार्च निकाल दें तो डायबिटीज के मरीजों के लिए यह और बढ़िया हो जाएगा।चावल में कई अन्य तरह के पोषक तत्व होते हैं जो बॉडी के लिए फायदेमंद है।दक्षिण के लोग चावल का बहुत ज्यादा सेवन करते हैं।अगर चावल से इतना नुकसान होता तो उनलोगों में डायबिटीज का खतरा सबसे ज्यादा होता लेकिन ऐसा नहीं है.आमतौर पर लोगों का यह भी मानना है कि ब्राउन राइस डायबिटीज के मरीजों के लिए अच्छा है जबकि व्हाइट राइस नुकसान पहुंचाता है।बाजार में इस तरह के कुछ एड आते हैं जिनमें दावा किया जाता है कि इस राइस को खाने से ब्लड शुगर नहीं बढ़ेगा।हालांकि विशेषज्ञ इस तरह की बातों को गैर-जरूरी बताते हैं।उनका मानना है कि ऐसा कुछ नहीं है कि शुगर के मरीजों को ब्राउन राइस खाना चाहिए और व्हाइट राइस नहीं खाना चाहिए।वह कोई भी राइस खा सकता है लेकिन इसमें से स्टार्च निकालकर खाएं तो नुकसान नहीं होगा।हां जिस दिन वे राइस खाएं उस दिन वह रोटी न खाएं तो बेहतर रहेगा।भारत में बासमती चावल को सबसे बेहतरीन माना जाता है।लेकिन इसे व्हाइट राइस नहीं माना जाता।इसका ग्लिसेमिक इंडेक्स 50 से 58 के बीच है।यानी इसका जीआई स्कोर भी बहुत कम है।विशेषज्ञों का मानना है कि डायबिटीज के मरीजों को अपने भोजन में बासमती राइस को जरूर शामिल करना चाहिए।
यह पौष्टिक तत्वों से भरपूर आहार है लेकिन इसमें रत्ती भर भी शुगर, फैट, सोडियम, कोलेस्ट्रोल, पोटैशियम आदि नहीं है।एक मुट्ठी चावल में 1 ग्राम डाइट्री फाइबर होता है।इसके अलावा 36 ग्राम कार्बोहाइड्रेट होता है और 3 ग्राम प्रोटीन।एक रिसर्च के मुताबिक डाइट्री फाइबर टाइप 2 डायबिटीज के जोखिम को कम करता है।इसके साथ ही यह डाइजेशन को मजबूत करता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक दुनिया भर में 42.2 करोड़ लोग डायबिटीज से पीड़ित हैं। भारत में भी डायबिटीज मरीजों की अच्छी खासी संख्या है।जब खून में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ने लगती है तो डायबिटीज की बीमारी होती है। दरअसल, शुगर शरीर में पहुंचकर कार्बोहाइड्रेट में परिवर्तित हो जाती है और कार्बोहाइड्रेट ग्लूकोज में बदलकर खून में पहुंचता है जहां से शरीर की सभी कोशिकाओं में पहुंचा दिया जाता है। अधिकांश कोशिकाएं ग्लूकोज को एनर्जी में बदल देती है जबकि लिवर, मांसपेशियों आदि की कोशिकाएं ग्लूकोज को ग्लाइकोजेन में बदलकर स्टोर कर लेती है।यही ग्लाइकोजेन शरीर में ईंधन के रुप में इस्तेमाल होता है।
दिक्कत तब होती है जब भोजन से बहुत अधिक कार्बोहाइड्रेट शरीर में जाने लगता है।इसके लिए अग्नाश्य में इंसुलिन नाम का हार्मोन सक्रिय हो जाता है ग्लूकोज की अतिरिक्त मात्रा को अवशोषित करने लगता है।अगर किसी वजह से इंसुलिन कम हो जाता है तो खून में ग्लूकोज जमा होने लगता है और डायबिटीज की बीमारी हो जाती है।यही कारण है कि डायबिटीज से पीड़ित लोगों को चीनी वाली चीजों से परहेज करनी पड़ती है। चावल में भी कार्बोहाइड्रेट बहुत अधिक पाया जाता है।तो क्या डायबिटीज के मरीजों को चावल नहीं खाना चाहिए? यह सवाल अधिकांश लोगों के मन में रहता है।