डेंजर रोड चौड़ीकरण का कार्य हुआ शुरू !

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लोक निर्माण विभाग बालाघाट द्वारा डेंजर रोड पर पेड़ों की कटाई का कार्य मंगलवार की रात से शुरू कर दिया गया। बुधवार की सुबह जो भी इस मार्ग से गुजरा उसे एक बार आश्चर्य हुआ कि आखिरकार इस रोड पर हो क्या रहा है। इस बात की सूचना मिलते ही सेव रिवर समिति के सदस्य पदाधिकारियों ने डेंजर रोड पहुंचकर पेड़ कटाई की का विरोध किया तो वहीं दूसरी ओर स्थानीय जनों ने इस मार्ग के चौड़ीकरण और पेड़ कटाई को शासन की तानाशाही और पैसों की बर्बादी बताया।

डेंजर रोड वैनगंगा नदी स्थित बड़े पुल के बाजू से जंगल के भीतर से गुजरने वाला हरे भरे सागौन और इमारती वृक्षों से घिरी हुई यह सड़क जो वैनगंगा नदी के किनारे किनारे जागपुर घाट तक पहुंचती है। आगे गायखुरी, गोगलाई और सीधे नवेगांव गोंदिया रोड़ को जोड़ती है। इस सड़क के चौड़ीकरण के लिए पेड़ों की कटाई का काम मंगलवार की रात से शुरू हो गया।

बुधवार कि सुबह जो भी डेंजर रोड से गुजरा एक बार रुक कर सोचने पर मजबूर हो गया कि आखिरकार इस रोड़ पर हो क्या रहा है? क्यों इस रोड पर इतनी चौड़ी नाली खोद दी गई? क्यों कुछ पेड़ों की कटाई कर दी गई ?

इस बात की जानकारी जैसे ही शहर की सेव् रिवर समिति के सदस्यों को लगी, सभी तत्काल डेंजर रोड पहुंच गए और उन्होंने इस पेड़ कटाई का विरोध किया और बताया कि पूर्व में भी इस मार्ग पर बायपास बनाए जाने के लिए 8 करोड रुपए खर्च किए गए थे। लेकिन नतीजा सिफर रहा केवल इस पर दोपहिया वाहन बमुश्किल चल पाते हैं। आज करोड़ों रुपया खर्च किया जाएगा लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकलने वाला क्योंकि तकनीकी तौर पर यह रोड कहीं से भी बड़े वाहन के लिए उपयुक्त नहीं है।

समिति के सदस्यों का मानना है कि जब रेलवे द्वारा अपने दोनों पुल के नीचे से भारी वाहन ना गुजरने देने के लिए बैरिकेड लगा दिए गए हैं, बारिश के दिनों में इन पुल के नीचे भारी पानी भर जाता है। तो फिर डेंजर रोड चौड़ीकरण कार्य के दौरान ऐसी कौन सी टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जाएगा, जिससे यह सारी परेशानी दूर हो जाएगी और शासन का पैसा व्यर्थ नहीं जाएगा।

सेव रिवर समिति के सदस्य बताते हैं कि कोविड महामारी की दूसरी लहर के बाद डेंजर रोड तो जैसे लोगों के लिए वरदान साबित हो रहा है, रोजाना लोग यहां भ्रमण के लिए आते हैं बायपास बन जाने से यह सब कुछ समाप्त हो जाएगा। पेड़ कटाई का विरोध शपथ किया जाएगा और आंदोलन भी।

वैनगंगा नदी सहित जिले की अन्य नदियों की सुरक्षा के लिए बीते कुछ वर्षो से काम कर रहे सेव रिवर समिति के अध्यक्ष बताते हैं कि डेंजर रोड यह मार्ग वैनगंगा नदी का डूब क्षेत्र है। वर्ष 2018 और 2019 में लगातार दो वर्ष तक बाढ़ आई। इस दौरान लगभग 8 किलोमीटर के इस रास्ते में आधे से अधिक रास्ता डूब चुका था और भविष्य में भी जब भी वैनगंगा में बाढ़ आएगी यह रास्ता डूब जाएगा।

नगर पालिका के पूर्व पार्षद कुंवर सिंह लाखा बताते है कि वर्षों पुराने इस हरे-भरे जंगल की सड़क चौड़ीकरण के नाम पर उजाड़ किया जा रहा है। इस पूरे मार्ग पर समतल जगह कहीं भी नहीं है जिस कारण इस पर बड़े वाहन चलाना तकनीकी तौर पर संभव नहीं है।

पूर्व पार्षद कुंवर सिंह लाखा जिला प्रशासन पर सीधे सीधे आरोप लगाते हुए कहते हैं कि बीते कुछ महीने पहले गायखुरी में 1000 पौधे लगाए गए हैं जिसमें 10 पौधे भी जीवित नहीं बचे हैं। इस तरह के गलत कदम से निश्चित ही जनता में आक्रोश होना एक स्वाभाविक बात हैं।

निश्चित ही डेंजर रोड पर पेड़ों की कटाई और उसे सुरक्षित रखने के लिए 2 वर्ष पूर्व शहर के बुद्धिजीवी वर्ग अलग-अलग सामाजिक और व्यापारिक संगठन के लोग एक एक मंच के नीचे आकर आवाज बुलंद कर चुके हैं, लेकिन जब आज डेंजर रोड पर पेड़ों की कटाई का काम शुरू हो रहा है तब सभी खामोश है। आखिर क्या बात है क्या राज है इस खामोशी का क्यों लोग विरोध नहीं कर रहे हैं ऐसा क्या हुआ कि लोग विरोध से डर रहे हैं कहीं इस पूरे मामले में पॉलीटिकल प्रेसर और प्रशासनिक प्रेसर तो नहीं आ रहा न जाने ऐसे दर्जनों सवाल अब शहर से लेकर जिलेवासियों के जहन में उठ रहे हैं। क्योंकि इन बुद्धिजीवी वर्ग के विरोध की तस्वीर अभी लोगों के जेहन में ताजा है पेड़ों को बांधे गए रक्षा सूत्र आज भी इस बात की गवाही देते हैं कैसे उस दिन सुबह सुबह पूरा बालाघाट जाग उठा था और डेंजर रोड पहुंच चुका था।

बात निकली है तो दूर तलक जाएगी कल जब भी डेंजर रोड की बातों को कोई याद करेगा उसकी हरियाली को कोई याद करेगा? तो इस बात को भी याद करेगा कि शहर के कुछ लोगों ने उसे बचाने की अधूरी कोशिश की वरना इस हरे भरे जंगल को बचाया जा सकता था।

वहीं कुछ लोगों के जेहन में यह भी सवाल उठ रहा होगा? क्या अभी देरी हुई है? क्या बहुत देर हो चुकी है? क्या अभी कुछ नहीं किया जा सकता? यह तो आने वाला समय ही बताएगा कि बालाघाटवासी और वह बुद्धिजीवी वर्ग जिसने डेंजर रोड को बचाने की कसमें खाई थी, उन सभी का आगामी दिनों में क्या रुख रहता है।

क्या वे सेव् रिवर समिति के इन युवाओं का समर्थन करेंगे या फिर घर से बैठकर ही इस डेंजर रोड का पूरा तमाशा देखेंगे?

चलिए जाते-जाते हम आपको डेंजर रोड की उन हसीन वादी उन हसीन पल के साथ छोड़ जाते हैं जो शायद आगामी दिनों में कल की बात हो जाए।

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