डोनाल्ड ट्रंप और कमला हैरिस में कौन पड़ा भारी, प्रेसिडेंशियल डिबेट को लेकर क्या कहा जा रहा, एक्सपर्ट से समझें

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अमेरिका में मंगलवार की रात डेमोक्रेटिक उम्मीदवार कमला हैरिस और रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप ने एक दूसरे के खिलाफ प्रेसिडेंशियल डिबेट में हिस्सा लिया। 1 घंटे 45 मिनट की बहस में कमला हैरिस ने पूर्व राष्ट्रपति पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कैपिटल हिल दंगा, गर्भपात कानून जैसे मुद्दों पर घेरा। हैरिस ने कहा कि लोग थकान और ऊब के चलते ट्रंप की रैलियों से चले गए। वहीं, डोनाल्ड ट्रंप ने हैरिस को अप्रवासन, बॉर्डर और इजरायल को लेकर निशाने पर लिया। हैरिस इस बहस में मुद्रा स्फीति, इमिग्रेशन और अफगानिस्तान से वापसी जैसे मुद्दों पर साफ तौर पर कमजोर नजर आईं। आइए जानते हैं कि प्रेसिडेशियल डिबेट में कौन किस पर भारी पड़ा।

पोल में कमला हैरिस आगे

सीएनएन के एक पोल के अनुसार, कमला हैरिस और डोनाल्ड ट्रंप के बीच मंगलवार की बहस देखने वाले पंजीकृत मतदाताओं 63 प्रतिशत ने माना कि हैरिस ने अच्छा प्रदर्शन किया। वहीं, ट्रंप के प्रदर्शन को 37 प्रतिशत ने अच्छा बताया। खास बात यह है कि बहस से पहले मतदाता दोनों के प्रदर्शन पर समान रूप से बंटे थे। 50% ने हैरिस और 50% ने ट्रंप के मजबूत प्रदर्शन की बात कही थी। ध्यान रहे, पोल के नतीजे केवल उन मतदाताओं के विचारों को दर्शाते हैं जो इसे देख रहे थे। यह सभी वोटरों का प्रतिनिधित्व नहीं करता है।

ये नतीजे जून में होने वाली प्रेसिडेंशियल डिबेट से अलग प्रदर्शन दर्शाते हैं। उस दौरान ट्रंप और बाइडन के बीच बहस देखने वाले 67 प्रतिशत मतदाताओं ने माना था कि रिपब्लिकन उम्मीदवार ने अपने प्रतिद्वंद्वी से बेहतर प्रदर्शन किया। केवल 33 प्रतिशत ही बाइडन के प्रदर्शन को अच्छा माना था।

क्या कहते हैं एक्सपर्ट?

बीबीसी की नॉर्थ अमेरिका एडिटर सारा स्मिथ ने बहस में ट्रंप के प्रदर्शन को कमजोर बताया है। उन्होंने एक लेख में लिखा, रात के सबसे नाटकीय क्षणों में से एक बहस के बाद आया, जब डोनाल्ड ट्रंप अप्रत्याशित रूप से मीडिया सेंटर ‘स्पिन रूम’ में पहुंच गए। स्पिन सेंटर में पहुंचना ये संकेत था कि उन्हें पता है कि उन्होंने बहस के मंच पर अच्छा प्रदर्शन नहीं किया है। उन्होंने दावा किया कि ‘यह मेरी अब तक की सबसे अच्छी बहस थी।’ स्मिथ ने आगे लिखा कि अगर उन्हें वास्तव में ऐसा लगता तो उन्हें खुद आकर ये कहने की जरूरत नहीं महसूस होती। इसके पहले जून में बाइडन के साथ बहस में जब वे साफ विजेता बनकर उभरे तो वे प्रेस से अपनी बात कहने के लिए व्यक्तिगत रूप से सामने नहीं आए थे।

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