एनजीटी से मिले आदेश के बाद भी नगर के तालाबों से अतिक्रमण हटाने में प्रशासनिक अधिकारियों के पसीने छूट रहे हैं। जहां भारी विरोध के चलते प्रशासनिक अधिकारियो की कार्यवाही सिर्फ नोटिस थमाने और समझाइश देने तक ही सिमट कर रह गई है।बात अगर बुढ़ी स्थित मेहरा तालाब की करें तो यहां के अतिक्रमण हटाने के लिए प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा 3-3 बार नोटिस जारी करने और अतिक्रमण हटाने की समझाइश देने की कार्यवाही पूरी की जा चुकी है।इसके बावजूद भी अब तक बूढ़ी तालाब में चिन्हित किया गया अतिक्रमण हटाने में प्रशासन नाकाम रहा है।इसी बीच 1 फरवरी दिन मंगलवार को प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा पूरे दलबल के साथ बूढ़ी तालाब स्थित 16 परिवारों के अतिक्रमण को हटाने की बात कही गई थी। जहां अतिक्रमण हटाने के लिए राजस्व विभाग, नगर पालिका, बिजली विभाग, जल विभाग और पुलिस प्रशासन का भारी भरकम अमला पहुंचा था।लेकिन भारी विरोध के चलते प्रशासनिक अमले ने मंगलवार को भी कोई कार्यवाही नही की।जहा यह अमला अतिक्रमण करने वालो को पुना: समझाइश देकर बैरंग लौट आया ।जहां अतिक्रमण करने वालों ने हाई कोर्ट से स्टे लाने की बात कहते हुए हाई कोर्ट के फैसले के बाद ही आगामी कार्यवाही किए जाने की मांग की ।वहीं उन्होंने बूढ़ी तालाब का पहले सीमांकन कराने,तालाब के सम्पूर्ण अतिक्रमण को चिन्हित करने,बूढ़ी तालाब ने अतिक्रमण कर बनाए गए समता भवन सहित अन्य लोगों द्वारा किए गए अतिक्रमण को हटाने, पहले देवी तालाब को अतिक्रमण से मुक्त करने और विस्थापन के लिए उचित स्थान पर मकान बना कर दिए जाने की मांग की। जहां अतिक्रमण करने वालों ने गौरी शंकर नगर में विस्थापन के लिए पट्टे वितरण करने की कार्यवाही में धांधली किए जाने का आरोप भी लगाया जिसके बाद अतिक्रमण की समझाईश देने के लिए बूढ़ी तालाब पहुंचा प्रशासनिक अमला एक बार फिर बिना कोई कार्यवाही किए बैरंग लौट आया।हालांकि इस दौरान प्रशासनिक अधिकारियों ने किसी भी तरह का बयान देने से इनकार कर दिया।