दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को तिहाड़ जेल में साफ पानी, टॉयलेट्स में दरवाजे और बेहतर सुविधाओं की मांग वाली एक जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई की। चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की बेंच ने कहा कि यह एक मानवीय मुद्दा है। कोर्ट ने दिल्ली सरकार को नोटिस जारी कर 6 हफ्ते के अंदर जवाब मांगा है। इस मामले की अगली सुनवाई, 14 अप्रैल, 2023 को होगी।
दिल्ली हाई कोर्ट लीगल सर्विसेज कमेटी (DHCLSC) ने एक कैदी का पत्र मिलने के बाद यह जनहित याचिका दायर की थी। DHCLSC के एक पैनल वकील की ओर से तब जेल परिसर का निरीक्षण किया गया और एक रिपोर्ट तैयार की गई। रिपोर्ट में कहा गया कि जेल में बुनियादी सुविधाओं की भी कमी है। पीने के लिए साफ पानी नहीं है। वॉशरूम और उनके दरवाजे टूटे हुए हैं। इस कारण कैदियों को समझौते करने पड़ते हैं।
जेल परिसर में बना मैनहोल भरा
जनहित याचिका में कहा गया कि रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि कैदियों के रहने की स्थिति भी खराब है, क्योंकि परिसर में एक मैनहोल है, जो भर चुका है, उसमें से पानी बाहर निकलना शुरू हो गया है। अदालत को आगे बताया गया कि दिल्ली जेल नियम, 2018 और मॉडल जेल मैनुअल, 2016 कहते हैं कि जेल के कैदियों को साफ पानी उपलब्ध कराया जाना चाहिए और जेल परिसर में साफ सफाई रखनी चाहिए।
दिल्ली हाईकोर्ट ने 16 साल की लड़की से रेप के आरोपी को जमानत देने से इनकार कर दिया। आरोपी ने अपनी दलील में कहा था कि उसने लड़की की सहमति से संबंध बनाए थे, इसलिए उसे रिहा किया जाए। मामला 2019 का है। लड़की के पिता की शिकायत पर पुलिस ने आरोपी को अरेस्ट किया था और चार्जशीट में उसके खिलाफ रेप केस दर्ज किया गया था।
दिल्ली हाईकोर्ट में चल-अचल संपत्तियों को आधार से लिंक करने की याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा ने एडवोकेट अश्विनी उपाध्याय को फटकार लगाते हुए कहा- उपाध्याय जी आपने महाभारत पढ़ी होगी। मैं संजय नहीं हूं, जिसे सब कुछ पता हो या जो सब कुछ देख सकता हो।