बालाघाट (पदमेश न्यूज़ )
जिला मुख्यालय सहित अन्य ग्रामीण अंचलों में तीसरे दिन भी दुर्गा प्रतिमा विसर्जन का जारी रहा। जहा सुबह से लेकर देर शाम तक नगर के विभिन्न जलाशयों में श्रद्धालु भक्तों द्वारा पूर्ण विधि-विधान के साथ पूजा अर्चना कर माता रानी की प्रतिमाओं का विसर्जन किया गया।आपको बताए कि नगर सहित पूरे जिले में शारदेय नवरात्र की दशमी तिथि अर्थात विजयादशमी पर मां दुर्गा की प्रतिमा का विसर्जन का सिलसीला शुरू हो गया था। दुर्गा पूजा पंडालों में सप्तमी तिथि से चल रही पूजा समाप्त होने के बाद भक्तों ने नम आंखों से मइया की मूर्ति का विसर्जन किया। जहा शनिवार और रविवार की तरह ही सोमवार को भी विसर्जन से पहले पंडाल में भक्तों ने एक पात्र में गंगाजल भरकर उसके अंदर शीशा रखकर मां के स्वरूप का दर्शन किया। उन्हें दोधि कर्मा (चिवड़ा, दही व चीनी) का प्रसाद अर्पित करके भक्तों ने उसे ग्रहण किया। वही बंगाली महिलाओं ने मां को सिंदूर लगाकर सुहाग की रक्षा की कामना की। इसके बाद महिलाओं ने एक-दूसरे को सिंदूर लगाकर ढाकी वादन में नृत्य करके मइया को रिझाया। इसके बाद विसर्जन यात्रा निकाली गई। ढोल-ताशा, डीजे, धमाल की थाप पर मां का जयकारा लगाते हुए मूर्तियों को नदी तालाब, विसर्जन कुंड, नहर, सहित अन्य जलाशयों में ले जाया गया। जहा माता के भक्तों ने माता रानी की विशेष पूजा अर्चना आराधना की ,वही आरती उतारी गई ।इसके अलावा क्षमा याचना व अन्य प्रार्थनाएं कर माता रानी की प्रतिमाओं का विसर्जन किया गया।जहा नगर में विसर्जन का यह सिलसिला तीसरे दिन भी सुबह से लेकर देर रात तक चलता रहा।
सुरक्षा व्यवस्था के दिखे पुख्ता इंतजाम
दुर्गा प्रतिमाओं के विसर्जन के दौरान निकाली गई शोभायात्रा में माता रानी के भक्त अबीर गुलाल उड़ाते नजर आए। तो वही उनके भजन पर थिरकते श्रद्धालु ,विभिन्न जलाशयों तक पैदल कोई वाहनों से जाते दिखाई दिए। इस दौरान विसर्जन स्थानों पर पुलिस की कड़ी सुरक्षा व्यवस्था देखी गई ।जहां नदियों के भीतर तक पहुंचने वाले श्रद्धालु भक्तों को पुलिसकर्मी रोकते नजर आए ताकि विसर्जन के दौरान कोई बड़ा हादसा ना हो सके।बताया जा रहा है कि नगर में पिछले 3 दिनों से जारी विसर्जन का यह दौर अब लगभग समाप्त हो गया है।जहां पूर्ण विधि-विधान और पौराणिक परंपराओं के अनुसार माता के भक्त माता रानी को विदाई देकर उनकी प्रतिमाओं का विसर्जन किया गया है।