मंत्री तुलसीराम सिलावट के खिलाफ हाई कोर्ट में चल रही चुनाव याचिका निरस्त होगी या आगे चलेगी, इस संबंध में कोर्ट अब 5 अप्रैल को बहस सुनेगा। गुरुवार को बहस होनी थी लेकिन आगे बढ़ गई।
गौरतलब है कि सिलावट ने 2018 का विधानसभा चुनाव सांवेर विधानसभा से कांग्रेस के टिकट पर लड़कर जीता था। इस निर्वाचन के खिलाफ दो चुनाव याचिकाएं हाई कोर्ट में दायर हुई थीं। इनमें सिलावट पर चुनाव के दौरान भ्रष्ट आचरण का आरोप था। बाद में सिलावट ने खुद विधायकी से इस्तीफा दे दिया और वे कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए। सांवेर विधानसभा सीट के लिए हुए उपचुनाव में सिलावट दोबारा चुन लिए गए। इधर 2018 के चुनाव को चुनौती देने वाली दोनों चुनाव याचिकाएं याचिकाकर्ताओं ने वापस ले ली। चुनाव याचिकाएं वापस लेने के खिलाफ सांवेर विधानसभा के एक मतदाता ने रिव्यू याचिका दायर की थी जिसका निराकरण करते हुए कोर्ट ने एक चुनाव याचिका पुनर्जीवित कर दी थी।
दोनों पक्षों की होनी थी बहस – इस याचिका को लेकर तुलसीराम सिलावट ने कोर्ट में आवेदन दिया था। याचिका में 2018 के उनके निर्वाचन को लेकर चुनौती दी गई है। सिलावट ने आवेदन में कहा कि अब 2018 के चुनाव का अस्तित्व ही नहीं है क्योंकि वे इस्तीफा दे चुके थे। पिछली सुनवाई पर याचिकाकर्ता ने इस आवेदन पर जवाब दिया था कि सिलावट पर 2018 के विधानसभा चुनाव में भ्रष्ट आचरण का आरोप है। आरोप सिद्ध होने पर सिलावट को छह साल के लिए चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित किया जा सकता है। याचिका 2019 में दायर हुई थी। इसका निराकरण छह महीने में हो जाता तो संभव है कि सिलावट उपचुनाव लड़ ही नहीं पाते। गुरुवार को इसी आवेदन पर दोनों पक्षों की बहस होनी थी, लेकिन अब बहस की तारीख आगे बढ़ गई है। अब कोर्ट 5 अप्रैल को बहस सुनेगा।