तो किसान नेताओं में ही पड़ने लगी है फूट! टिकैत और गुरनाम चढूनी में वर्चस्व की जंग?

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नई दिल्ली: केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान पिछले करीब 6 महीने से दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं। किसानों की मांग है कि ये कानून वापस लिए जाए। सरकार और किसानों के बीच कई दौर की बातचीत भी हो चुकी हैं लेकिन किसान अपनी मांग से टस से मस नहीं हुए और नतीजा ये हुआ कि बातचीत का कोई हल नहीं निकल पाया। इन सबके बीच लंबे खिंचते किसान आंदोलने में अब किसान संगठनों के बीच मतभेद नजह आ रहे हैं।

चढूनी ने बनाई अलग फेडरेशन
मतभेद की झलक उस समय दिखाई दी जब भारतीय किसान यूनियन (चढूनी) हरियाणा के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने संयुक्त किसान मोर्चे से अलग भारतीय किसान मजदूर फेडरेशन बनाई। चढूनी ने यह कदम ऐसे समय में उठाया है जब तमाम संगठन कृषि बिलों के खिलाफ एक हुए हैं। इस संगठन को बनाकर उन्होंने साफ कर दिया कि वह संयुक्त किसान मोर्च के तहत तो रहेंगे लेकिन अपनी राह अलग होगी। चढूनी के इस कदम पर किसी भी बड़े किसान ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।

 टिकैत और गुरनाम चढ़ूनी में वर्चस्व की जंग
भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत और दूसरे बड़े किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी में मतभेद की खबरें कई बात आती रही हैं। अब चढूनी द्वारा अपना अलग संगठन बनाए जाने को लेकर इसकी पुष्टि भी होती दिखती है जिससे ऐसा लग रहा है कि यह दो नेताओं के बीच वर्चस्व की लड़ाई भी है। हाल में ही चढ़ूनी ने सोशल मीडिया के माध्यम से यूपी के कई हिस्सों में किसान आंदोलन नहीं चलने की बात कही थी। इस दौरान उन्होंने नेताओं के साथ साथ संगठन पर भी उंगुली उठाई थी। हालांकि दोनों नेता मंच पर साथ नजर आते हैं।

कुछ समय पहले ही चढूनी ने कहा था कि जिस तरह पंजाब और हरियाणा में नेताओं का विरोध हो रहा है वैसी यूपी में नहीं हो रहा है। उन्होंने साफ कहा था कि आंदोलन को यूपी में भी धार देनी होगी, जिसका साफ इशारा टिकैत बंधुओं की तरफ था जो यूपी से आते हैं।

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