नई दिल्ली: गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों का धरना पिछले दो महीने से जारी है और 26 जनवरी को हुए हिंसक प्रदर्शन के बाद यह धरना शुक्रवार को लगभग खत्म होता दिख रहा था। कई किसान प्रदर्शकारी इस दौरान बॉर्डर से लौट भी चुके थे और बचे हुए प्रदर्शनकारियों को समझाने में प्रशासन जुटा हुआ था। इस दौरान राकेश टिकैत भी लगभग सरेंडर करने की स्थिति में आ गए थे, लेकिन फिर ऐसा क्या हुआ कि धरना प्रदर्शन उतनी ही मजबूती से फिर खड़ा हुआ जैसे पहले से चल रहा था? इसका जवाब है, एक बीजेपी विधायक की गलती।
नंदकिशोर गुर्जर की एक गलती पड़ी भारी
जी हां, मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो गाजियाबाद की लोनी सीट से भाजपा विधायक नंदकिशोर गुर्जर की एक गलती से प्रशासन के प्रयासों पर पानी फिर गया। गुर्जर के कारण पहले भी सरकार विवादों में फंस चुकी है। गुर्जर पर आरोप है कि जब राकेश टिकैत धरना खत्म करने जा रहे थे तो अचानक से वह अपने कुछ लोगों के साथ वहां पहुंच गए और किए कराए पर पानी फेर दिया। टिकैत ने गुर्जर पर आरोप भी लगाया था कि वह प्रशासन के साथ मिलकर साजिश रच रहे थे।
पलट गया पासा
शुक्रवार शाम को जब एडीएम सिटी मंच पर किसान नेताओं से बात कर रहे थे और यह बात सही दिशा में आगे बढ़ रही थी। धरना स्थल को खाली करने की सहमति बन ही चुकी थी कि इतने में गुर्जर अपने करीब 100 लोगों को लेकर वहां घुस आए। जानकारी मिलते ही टिकैत ने बातचीत छोड़कर माइक पकड़ लिया और कहा कि उनके खिलाफ बड़ी साजिश रची जा रही है। इसके बाद मीडिया से बात करते हुए टिकैत रोने लगे और कहने लगे कि उनके साथियों को पिटवाने का प्लान है, मैं यहां से नहीं हिलूंगा चाहे कुछ भी हो जाए। बस फिर क्या था, टिकैत के आंसुओं ने ऐसा पासा पलटा कि आंदोलन पुर्नजीवित हो गया।
विधायक की सफाई, कहा- वहां गया ही नहीं था
वहीं इस मामले पर अब बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने विधायक को फोन कर सफाई मांगी है। यह पहली बार नहीं है कि जब गुर्जर विवादों में रहे हों, इससे पहले भी वह विधानसभा में धरने में बैठकर चर्चा में आ चुके हैं। इस पूरे विवाद पर गुर्जर ने कहा है कि वह धरनास्थल पर नहीं गए थे चाहे तो मेरे फोन की लोकेशन और सीसीटीवी की जांच की जाए। उन्होंने कहा कि टिकैत झूठे आरोप लगा रहे हैं जो निराधार है। अगर आरोप सही साबित हुए तो मैं राजनीति से सन्यास ले लूंगा।