फिलहाल चार साै कृष्णमृग और साै नीलगाय अन्यत्र भेजने की तैयारी है। इसके लिए बजट व उपकरणों के लिए वन विभाग ने प्रस्ताव शासन स्तर पर भेजे थे। जिन्हें मंजूरी मिल गई है।
दक्षिण अफ्रीका की टीम बोमा पद्धति से जिले से नीलगाय और कृष्णमृग पकड़ेगी। इसे लेकर नीलगाय और कृष्णमृग की मौजूदगी वाले स्थानों का सर्वे वन विभाग की टीम कर रही है। दरअसल नीलगाय और कृष्णमृग खेतों में खड़ी फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं। इसे लेकर कई बार किसानों द्वारा प्रदर्शन करने के साथ ज्ञापन दिए गए। इससे राहत के लिए नीलगाय और कृष्णमृग को अन्यत्र भेजने की योजना वन विभाग ने बनाई है।
इन्हें पकड़कर अन्य भेजने का काम साउथ अफ्रीका के विशेषज्ञों की टीम को मिला है। इसी महिने के अंत में टीम के जिले में पहुंचने की संभावना है। ऐसे में वन विभाग द्वारा नीलगाय और कृष्णमृग की माैजूदगी वाले स्थानों को चिन्हित किया जा रहा है। जिससे की साउथ अफ्रीका की टीम के यहां पहुंचने पर बोमा लगाकर इन्हें पकड़ा जा सके।
विशेष उपकरण भी लाए जाएंगेइसके लिए विशेष उपकरण भी शाजापुर लाने की तैयारी वन विभाग की टीम कर रही है। इसमें हेलीकाप्टर का भी उपयोग होगा। फिलहाल चार साै कृष्णमृग और साै नीलगाय अन्यत्र भेजने की तैयारी है। इसके लिए बजट व उपकरणों के लिए वन विभाग ने प्रस्ताव शासन स्तर पर भेजे थे। जिन्हें मंजूरी मिल गई है।साउथ अफ्रीका की टीम भी संपर्क मेंजिले में नीलगाय और कृष्णमृग को पकड़ने के प्रोजेक्ट को लेकर साउथ अफ्रीका के विशेषज्ञों की टीम भोपाल से लेकर शाजापुर जिले के वन विभाग के अधिकारियों के संपर्क में है। लगातार वीडियो कांफ्रेस के माध्यम से प्रोजेक्ट से जुड़ी जानकारी सांझा की जा रही है। नीलगाय और कृष्णमृग की माैजूदगी वाले स्थानों के सर्वे में भी साउथ अफ्रीका के विशेषज्ञों की सलाह ली जा रही है।