दरें तो तय कर दीं लेकिन कैसे पता करेंगे कि कार्यकर्ता ने फुल चाय पी है या आधी

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प्रत्याशियों के चुनाव खर्च पर नजर रखने के उद्देश्य से निर्वाचन आयोग ने 450 से ज्यादा सामग्रियों की दरें तो तय कर दीं लेकिन इनका सही तरीके से पालन हो इसके लिए कोई व्यवस्था ही नहीं की। चुनाव आयोग ने फुल चाय (पूरा गिलास) के 10 रुपये और कट (आधा) के पांच रुपये तो निश्चित कर दिए लेकिन इस बात की कोई व्यवस्था है ही नहीं है जो यह पता लगा सके कि कार्यकर्ता ने फुल चाय पी है या कट।

ऐसे में निर्वाचन आयोग के सामने प्रत्याशी द्वारा दी गई जानकारी पर भरोसा करने के अलावा कोई और रास्ता है ही नहीं। सिर्फ चाय ही नहीं ऐसी गफलत आधे से ज्यादा सामग्रियों के साथ है। ऐसी स्थिति में निर्वाचन आयोग प्रत्याशियों के चुनाव खर्च को कितना नियंत्रित कर सकेगा यह कहना मुश्किल है।

आयोग ने कहा है कि कपड़े के बैनर का प्रति मीटर 20 रुपये जुड़ेगा, लेकिन यह नहीं बताया कि प्रत्याशी को न्यूनतम कितने बैनर लगाने होंगे। या इसकी अधिकतम सीमा क्या होगी। यानी कितने बैनर लगे इसकी सही गितनी के बजाय आयोग को प्रत्याशी द्वारा बताई गई बातों पर विश्वास करना होगा। लगभग यही स्थिति पोस्टर, पंपलेट्स को लेकर भी रहेगी। इन सामग्रियों में भी आयोग की मजबूरी रहेगी कि वह प्रत्याशियों द्वारा दी गई जानकारी को ही सही माने।

एक-जगह से दूसरी जगह जाते हैं झंडे-बैनरएक खास बात यह भी है कि प्रचार के दौरान कई बार झंडे-बैनर एक स्थान से निकालकर दूसरी जगह लगाना होते हैं। आयोग द्वारा जारी दरों में इस स्थिति का कोई उल्लेख ही नहीं है। यह स्पष्ट नहीं है कि ऐसे में झंडे-बैनर को दो जगह जोड़ा जाएगा या एक जगह। दोनों ही स्थिति में गड़बड़ी की आशंका रहेगी। दोनों जगह जोड़े जाने पर यह गड़बड़ी आयोग की तरफ से होगी तो एक जगह जोड़े जाने पर प्रत्याशी की ओर से।

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