अमेरिका के हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव की पूर्व स्पीकर नैंसी पेलोसी समेत एक उच्च स्तरीय अमेरिकी कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल ने बुधवार 19 जून को तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा से भारत के धर्मशाला में मुलाकात की। अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल की इस यात्रा को लेकर चीन भड़का हुआ है। उसने नैंसी पेलोसी समेत पूरे प्रतिनिधिमंडल को दलाई लामा से दूर रहने को कहा था। चीन ने कहा कि दलाई लामा एक धार्मिक नेता नहीं, बल्कि एक राजनीतिक हस्ती हैं, जो धर्म का चोला पहनकर चीन के खिलाफ अलगाववादी राजनीति कर रहे हैं। चीन को जैसा डर था वही हुआ। धर्मशाला में तिब्बत की निर्वासित सरकार के एक कार्यक्रम में बोलते हुए नैंसी पेलोसी ने चीन के राष्ट्रपति को निशाने पर ले लिया। पेलोसी ने कहा कि ‘चीन के राष्ट्रपति आप चले जाएंगे और कोई आपको याद नहीं रखेगा।’
चीन की धमकी के बावजूद पहुंची ताइवान
नैंसी पेलोसी ने चीनी राष्ट्रपति के खिलाफ पहली बार इस तरह सीधा हमला नहीं बोला है, बल्कि उनका चीन से टकराने का लंबा इतिहास रहा है। दो साल पहले 2002 में जब नैंसी पेलोसी हाउस स्पीकर थीं, उस समय उन्होंने एक बड़ा कदम उठाते हुए ताइवान की यात्रा की थी। 1997 के बाद किसी बड़े अमेरिकी राजनेता और पदाधिकारी की यह ताइवान यात्रा की थी। खास बात ये है कि नैंसी पेलोसी को ताइवान आने से रोकने के लिए चीन ने तो चेतावनी दी ही थी, व्हाइट हाउस ने भी चिंता जताई थी। इसके बावजूद उन्होंने ताइवान पहुंच कर ताइपे की लोकतांत्रिक सरकार को अपना समर्थन प्रदर्शित किया।
बीजिंग में पहुंचकर चीन को दिखाई आंख
नैंसी पेलोसी ने सबसे साहसिक कारनामा 1991 में किया था, जब उन्होंने चीन की जमीन पर ही उसके खिलाफ आवाज उठाई थी। कम्युनिस्ट चीन की बर्बरता का जब इतिहास पढ़ा जाएगा, उसमें तियानमेन स्क्वायर का जिक्र जरूर आएगा। बीजिंग के तियानमेन चौक पर छात्रों ने बड़े पैमाने पर कम्युनिस्ट सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया था। 1989 में चीन की सरकार के आदेश पर इस आंदोलन को बर्बरता से कुचला गया। प्रदर्शनकारी छात्रों के ऊपर टैंक चढ़ा दिए गए थे। इस घटना को तियानमेन स्क्वायर नरसंहार के नाम से जाना जाता है।