दिल्ली में तीनों नगर निगमों के एकीकरण का रास्ता साफ, केंद्रीय कैबिनेट ने दी प्रस्ताव को मंजूरी

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मंगलवार को केंद्रीय कैबिनेट ने दिल्ली में तीन नगर निगमों के एकीकरण के लिए संसद में एक विधेयक पेश करने को मंजूरी दे दी है। जानकारों की मानें तो केंद्र सरकार चल रहे बजट सत्र में ही इस बिल को संसद में पेश कर सकती है। केन्द्र सरकार ने 9 मार्च को ही राज्य चुनाव आयुक्त को बताया था कि वो तीनों नगर निगमों के एकीकरण पर विचार कर रहा है। इसी वजह से निकाय चुनावों की तारीखों की घोषणा टल गई थी। उधर आम आदामी पार्टी ने इसे सियासी चाल करार दिया है।। आप ने कहा है कि तीनों MCD का एकीकरण कभी भी किया जा सकता था, लेकिन इस वक्त इस प्रस्ताव का मकसद MCD चुनावों में देरी कराना है। उनके मुताबिक बीजेपी को दिल्ली में एमसीडी चुनाव हारने का डर है, इसलिए वो ऐसे हथकंडे इस्तेमाल कर रही है।

क्यों जरुरी है तीनों MCD का एकीकरण?

गृह मंत्रालय ने हाल ही में एक प्रेस विज्ञप्ति में तीनों निकायों के एकीकरण के कारणों का हवाला दिया था। मंत्रालय ने कहा था कि वेतन का भुगतान न करने और संपत्ति और देनदारियों के असमान वितरण के कारण कर्मचारियों द्वारा बार-बार हड़ताल करने से नगर निगमों की आय और व्यय का असंतुलन होता है। इसलिए दिल्ली में इन संस्थाओं का एकीकरण जरूरी है।

क्या बीजेपी को होगा फायदा?

यदि बजट सत्र में विधेयक को संसद में मंजूरी मिल जाती है तो अप्रैल में होने वाले निकाय चुनावों से पहले तीन एमसीडी पूर्व, उत्तर और दक्षिण एक हो जाएंगे। इससे BJP को मदद मिल सकती है। आपको बता दें कि बीजेपी पिछले 15 सालों से तीनों एमसीडी पर काबिज है। वैसे AAP के नेताओं का दावा है कि चुनावों में कितना भी देरी हो, लेकिन दिल्ली नगर निगम में BJP की हार निश्चित है।

दिल्ली नगर निगम (MCD) को अप्रैल 2012 में शीला दीक्षित सरकार द्वारा तीन भागों में विभाजित किया गया था. दिल्ली नगर अधिनियम 1957 को 2012 में संसद द्वारा एकीकृत एमसीडी को तीन भागों में विभाजित करने के लिए संशोधित किया था। उसके बाद केंद्र सरकार, संविधान के अनुच्छेद 239 ए में निहित प्रावधानों और संविधान में जुड़े अन्य प्रावधानों के मुताबिक दिल्ली के एनसीटी में मौजूद तीन नगर निगमों के एकीकरण का प्रयास कर रही है।

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