दिल्ली मेयर चुनाव के लिए नई तारीख का ऐलान:16 फरवरी को बैठक, LG सक्सेना ने दी मंजूरी

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दिल्ली में मेयर चुनाव की नई तारिख की घोषणा हो गई है। अब 16 फरवरी को चुनाव होंगे। इसके लिए LG विनय कुमार सक्सेना ने मंजूरी दे दी है। दिल्ली सरकार ने LG को 16 फरवरी को सदन का सत्र आयोजित करने का प्रस्ताव भेजा था, जिसे LG ने रविवार को स्वीकार किया। इससे पहले तीन बार सदन की बैठक हो चुकी है, लेकिन भाजपा और आप नेताओं के हंगामे के चलते चुनाव नहीं हो पाए।

6 फरवरी को नॉमिनेटेड मेंबर्स को वोट की मंजूरी के बाद हंगामा
6 फरवरी को दिल्ली में मेयर चुनाव तीसरी बार टल गया। 10 नॉमिनेटेड मेंबर्स को वोट की मंजूरी मिलने के बाद भाजपा और AAP के मेंबर्स ने हंगामा शुरू कर दिया। इसके बाद MCD सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी गई।

6 और 24 जनवरी को भी हुआ था हंगामा
6 और 24 जनवरी को भी चुनाव नहीं हो पाए थे। 6 जनवरी MCD मुख्यालय में AAP और BJP के सदस्य आपस में भिड़ गए। जिसके बाद 24 जनवरी को मुख्यालय में पुलिस को तैनात करना पड़ा। हालांकि, इसके बाद भी दोनों पार्टियों ने जमकर हंगामा किया था।

AAP की शैली ओबेरॉय और भाजपा की रेखा गुप्ता के बीच टक्कर
AAP ने मेयर के लिए शैली ओबेरॉय और भाजपा ने रेखा गुप्ता को मैदान में उतारा है। ऐसे में राजधानी को एक महिला मेयर मिलना तय है। भाजपा सांसद हंसराज हंस ने दावा किया कि मेयर भाजपा का ही होगा। MCD चुनाव के बाद सदन की पहली बैठक 6 जनवरी को हुई थी, लेकिन हंगामे के कारण मेयर का चुनाव नहीं हो पाया था। वहीं, डिप्टी मेयर के लिए AAP ने मोहम्मद इकबाल और BJP ने कमल बागड़ी को उम्मीदवार बनाया है।

MCD का इतिहास
MCD अप्रैल, 1958 में अस्तित्व में आया था। इसने पुरानी दिल्ली में 1860 के दशक के ऐतिहासिक टाउन हॉल से अपनी यात्रा शुरू की थी और अप्रैल, 2010 में इसे सिविक सेंटर परिसर में ट्रांसफर कर दिया गया था। 1958 में फ्रीडम फाइटर अरुणा आसफ अली को मेयर चुना गया था। अली की फोटो अभी भी टाउन हॉल में पुराने नगरपालिका भवन के कमरों और सिविक सेंटर के कार्यालयों में लगी हुई हैं। शहर की एक प्रमुख सड़क का नाम भी उनके नाम पर रखा गया था।

2012 में बंटी MCD, 2022 फिर एकीकरण
लॉ स्कॉलर रजनी अब्बी 2011 में MCD के तीन भागों में बंटने से पहले मेयर थीं। 2012 में निगम को तीन अलग-अलग नागरिक निकायों – उत्तर (104 वार्ड) , दक्षिण (104 वार्ड) और पूर्वी (64 वार्ड) नगर निगमों में बांट दिया गया। इनमें से हर एक का अपना मेयर था। बीते साल तीनों का एकीकरण हुआ, जब केंद्र ने उन्हें एकजुट करने के लिए एक कानून लाया था। इसने वार्डों की कुल संख्या को 272 से घटाकर 250 कर दिया।

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