2 से 18 साल के बच्चों पर वैक्सीन ट्रायल को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में आज सुनवाई है। याचिका में कोविड वैक्सीन का इस आयु वर्ग पर ट्रायल नरसंहार के जैसा बताया गया है और इसे तुरंत रोकने की मांग की है।
याचिकाकर्ता संजीव कुमार ने कहा कि यह एप्लीकेशन हाईकोर्ट के सामने है। इसमें केंद्र और भारत बायोटेक को नोटिस भी भेजा जा चुका है। इसके बावजूद जून से ही बच्चों पर वैक्सीन के ट्रायल शुरू किए जा चुके हैं। ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने भारत बायोटेक को कोवैक्सिन के बच्चों पर फेज 2 और 3 के ट्रायल की मंजूरी दी थी।
बच्चों को वॉलंटियर्स कहना गलत, वो नतीजे नहीं समझ सकते- याचिकाकर्ता
संजीव ने कहा, “कोर्ट ने अपनी सुनवाई के दौरान याचिका पर स्टे नहीं दिया है। इसके बावजूद केंद्र ने ट्रायल्स शुरू कर दिए हैं। याचिकाकर्ता का कहना है कि चिंता इस बात की है कि वैक्सीन का ट्रायल बच्चों पर किए जाने से उनकी सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। उनकी मानसिक सेहत पर भी इसका असर पड़ सकता है।
जिन बच्चों पर वैक्सीन का ट्रायल किया जा रहा है, उन्हें वॉलंटियर्स नहीं कहा जा सकता है। ये बच्चे इस ट्रायल के नतीजों को समझने की क्षमता नहीं रखते हैं। स्वस्थ बच्चों पर वैक्सीन का ट्रायल नरसंहार जैसा होगा। अगर किसी मासूम की जान इस ट्रायल में जाती है तो ट्रायल में शामिल लोगों और इसकी इजाजत देने वाले पर आपराधिक मुकदमा चलना चाहिए।’
525 स्वस्थ वॉलंटियर्स पर होगा ट्रायल- स्वास्थ्य मंत्रालय
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा था कि 525 स्वस्थ्य वॉलंटियर्स पर इस वैक्सीन का ट्रायल किया जाएगा। उन्हें वैक्सीन की दो डोज दी जाएगी। पहली डोज देने के 28 दिन बाद इन वॉलंटियर्स को दूसरी डोज दी जाएगी। ट्रायल के दौरान कोवैक्सिन का इस्तेमाल किया जाएगा। इस वैक्सीन का इस्तेमाल अभी देश में चल रही वैक्सीनेशन ड्राइव में किया जा रहा है। इसके अलावा दूसरी वैक्सीन सीरम इंस्टिट्यूट की कोवीशील्ड है। जिसे वैक्सीनेशन के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है।