माइक्रोनेशिया 100,000 से अधिक की आबादी वाला दुनिया का अंतिम देश बन गया हैं, जो संभवतः कोरोना के विस्फोट का सबसे अंत में सामना कर रहा है। ढाई साल से अधिक समय तक, प्रशांत द्वीपसमूह अपने ज्योग्राफिकल आइसोलेशन और सीमा नियंत्रण के कारण कोरोना के विस्फोट से बचने में कामयाब रहा। वे लोग जो कोविड बीमारी के साथ देश में आए थे। उन्होंने इस नहीं फैलाया क्योंकि देश ने उनके आइसोलेशन की व्यवस्था कर रखी थी। लेकिन जैसा कि इस साल कई अन्य प्रशांत देशों में हुआ है, माइक्रोनेशिया भी कोरोना के ओमिक्रॉन वैरियेंट को अधिक समय देश से बाहर नहीं रख सका। मंगलवार को माइक्रोनेशिया की सरकार ने घोषणा की है कि वह देश के चार राज्यों में से दो में कोरोना के कई मामलों से अवगत हैं। अधिकारियों ने कहा है कि कोशराय राज्य में 25 लोगों ने स्थानीय अस्पताल में दिखाया था जिसके बाद सभी पॉजिटिव पाए गए हैं। एक अन्य मामले में मेडिकल टीम के विजिट के बाद 11 परिवार के 10 और लोग पॉजिटिव पाए गए हैं।
अधिकारियों ने कहा है कि उन्हें पोह्नपेइ राज्य में सात कम्युनिटी स्तर के मामले भी मिले हैं। वहां के राज्य के नेताओं ने सभी निवासियों को सार्वजनिक समारोहों से बचने और हर समय मास्क पहनने की अपील की है। माइक्रोनेशिया अपने क्वारंटाइन के प्रतिबंधों को समाप्त करने का प्लान बना रहा था। माइक्रोनेशिया 1 अगस्त को दुनिया के लिए अपनी सीमाओं को फिर से खोलने जा रहा था। सीमाओं को फिर से खोलने से पहले देश में कोरोना विस्फोट हो गया। पिछले साल माइक्रोनेशिया ने सभी नागरिकों को कोरोनवायरस के खिलाफ वैक्सीनेशन को अनिवार्य कर दिया था। माइक्रोनेशिया ने यह भी कानून बनाया था कि यदि कोई भी नागरिक नियमों का पालन नहीं करता है, तब उससे फेडरल फंड वापस ले लिया जाएगा। परिणामस्वरूप माइक्रोनेशिया में वैक्सीनेशन दर अधिक थी।